दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय से उत्तरी और दक्षिणी परिसर में छात्रावासों की कमी और उसके आसपास किराए का मानकीकरण नहीं होने के मुद्दे पर दायर याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है.
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने डीयू की तरफ से उपस्थित अधिवक्ता को विश्वविद्यालय से इस मुद्दे पर निर्देश लेने को कहा.
इसी मामले पर एक और याचिका आने के बाद पीठ ने अगली सुनवाई की तिथि 18 जुलाई निर्धारित करते हुए कहा, 'याचिका में उठाए गए मुद्दों पर निर्देश लेकर आएं.'
यह याचिका डीयू के पूर्व छात्र और राइट टू एकोमोडेशन अभियान के समन्वयक प्रवीण कुमार ने अधिवक्ता कमलेश कुमार मिश्र के माध्यम से दाखिल किया है. उन्होंने अदालत से डीयू को दिल्ली विश्वविद्यालय अधिनियम, 1922 की धारा 33 पर अदालत के निर्देश की मांग की है. इस धारा के तहत विश्वविद्यालय को दाखिला लेने वाले सभी विद्यार्थियों को आवास उपलब्ध कराने का नियम बनाया गया है.
मिश्रा ने अदालत से कहा कि कानूनन सभी नियमित छात्रों को आवास उपलब्ध कराया जाना चाहिए. हालांकि विश्वविद्यालय के 86 फीसदी विद्यार्थी मकान मालिक और प्रॉपर्टी डीलरों के रहमोकरम पर निर्भर हैं, जो महिला अध्येताओं समेत सभी विद्यार्थियों का शोषण करते हैं.