दुनिया भर में पढ़ाई अब पूरी तरह हाईटेक हो गयी है हालांकि क्लासरूम का कॉन्सेप्ट अभी तक वजूद में है और इसके आने वाले कई और दशकों तक रहने की भी उम्मीद है फिर भी बदलती तकनीक के साथ माना जा रहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से बदलाव हो रहे हैं.
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ई लर्निंग और स्मार्ट लर्निंग का चलन बढ़ रहा है देश में भी अब छोटी कक्षाओं से इसकी शुरुआत होने लगी है सीबी इनसाइट्स के अनुसार 2014 में इसमें 55% बढ़ोतरी हुई थी ग्लोबल इंडस्ट्री एनालिस्टस की एक रिपोर्ट का कहना है कि 2015 में वैश्विक ई -लर्निंग का बाजार 107 बिलियन डॉलर हो जायेगा कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इससे एक दिन यूनिवर्सिर्टी का अस्तित्व खत्म हो जायेगा, जबकि कुछ अन्य विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे यूनिवर्सिर्टीज पहले से ज्यादा मजबूत बनाया जा सकेगा.
एक सर्वे के मुताबिक, आज 12.5 करोड़ से अधिक लोग 2,150 सबजेक्ट से जुड़ी जानकारी इंटरनेट के जरिये पाते हैं. कई यूनिवर्सिर्टी और संस्थान इंटरनेट के जरिये अपने सेलेबस को दुनियाभर में पहुंचा रहे हैं वहीं इंटरनेट, कंप्यूटर और स्मार्ट फोन की बढ़ता यूज शिक्षा के पारंपरिक तौर तरीके में बदलाव की बड़ी वजह है.
रोलांड बजर्र स्ट्रेटेजी कंसल्टेंट के मुताबिक कॉरपोरेट ई -लर्निंग 2017 तक 13 फीसदी की दर से बढ़ेगा इसमें कर्मचारियों की जरूरत और समय को ध्यान में रख कर सेलेबस तैयार किये जाते हैं, जिन्हें किसी भी डिजिटल उपकरण पर मुहैया कराया जा सकता है हालांकि यह क्षेत्र अभी शुरू ही हुआ है, पर कॉरपोरेट इ-लर्निंग शिक्षा के नये तौर-तरीकों की ओर बढ़ने को प्रेरित करता है.
2015 में सीखने के नये तरीकों का आगमन भी होने जा रहा है इनमें छात्रों को सीधे ब्राउजर में कोड लिखने की सुविधा शामिल है. इसके साथ एक मोबाइल एप्प भी बनाया जाएगा.