एथलेटिक्स की दुनिया रातोंरात छा जाने वाली एशियन गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट हिमा दास को 'यूनीसेफ इंडिया' का 'यूथ एंबेसडर' बनाया गया है. गोल्डन गर्ल के नाम से मशहूर हिमा को बुधवार को ये बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई. 'यूनिसेफ इंडिया' ने 14 नवंबर यानी बाल दिवस वाले दिन ट्वीट कर ये जानकारी दी.
Meet our Youth Ambassador, Hima Das!
The Asian Games medallist is @UNICEF India’s first ever youth ambassador as part of #WorldChildrensDay celebration.#GoBlue pic.twitter.com/4WYieI6MhB
— UNICEF India (@UNICEFIndia) November 14, 2018
क्या है यूनिसेफ इंडिया
यूनीसेफ पूरी दुनिया में बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा आदि के लिए कार्य करने के लिए जाना जाता है. वहीं यूथ एंबेसडर के तौर पर हिमा का बच्चों के अधिकार उनसे जुड़े काम पर ध्यान देना होगा साथ ही बच्चों के अधिकार के लिए जागरुक करना होगा.
वहीं हिमा बेहद खुश हैं, ट्वीट कर उन्होंने लिखा- यूनिसेफ इंडिया की यूथ एंबेसडर बन कर खुश और आभारी हूं. ''मैं ज्यादा से ज्यादा बच्चों को उनके सपने पूरा करने के लिए प्रेरित करना चाहूंगी. उन्होंने कहा- हम लोगों को देखकर काफी लोग प्रेरित होंगे''.
वहीं यूनिसेफ के साथ सचिन तेंदुलकर के साथ कई सेलिब्रिटिज जुड़े हुए हैं. अब हम कोशिश करेंगे बच्चों के अधिकारों के लिए काम करेंगे. उन्होंने कहा मैं अपने खेल और बातौर यूथ एंबेसडर यूनिसेफ इंडिया पर पूरा ध्यान देना चाहती हूं. जब हमारी टीम बनाई जाएगी हम सब मिलकर एक टीम की तरह काम करेंगे.
I’m honoured and grateful to be the first @UNICEFIndia Youth Ambassador. I look forward to encouraging and supporting children to achieve their dreams. Join me and #GoBlue this #ChildrensDay pic.twitter.com/7gpgYCJQni
— Hima Das (@HimaDas8) November 14, 2018
फुटबॉल में हिमा लड़कों को देती थीं मात, इस शख्स की जिद से आईं ट्रैक पर
जानिए हिमा दास के बारे में
असम की रहने वाली किसान की बेटी हिमा उस वक्त चर्चा में आई थी जब उन्होंने आईएएफ वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप की महिलाओं की 400 मीटर स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया था. उन्होंने राटिना स्टेडियम, फिनलैंड में खेले गए फाइनल में 51.46 सेकेंड का समय निकालते हुए जीत हासिल की थी. इसी के साथ वह इस चैंपियनशिप में सभी आयु वर्गो में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला बन गई हैं.
हिमा दास को चैंपियन बनाने वाले कोच की ये है कहानी
बता दें, हिमा ने एथलिट बनने के बारे में कभी नहीं सोचा था. वह लड़कों के साथ फुटबॉल खेला करती थीं. लेकिन फिर उन्हें स्थानीय कोच ने सलाह दी कि उन्हें एथलेटिक्स में अपना करियर बनाना चाहिए. इसके बाद उन्होंने किस्मत आजमाने की सोची और आज वह शीर्ष एथलीटों की कतार में खड़ी हैं.