हिमालय के क्षेत्र हमेशा से भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील माने जाते हैं. हिमालय में अक्सर भूकंप के झटके आते रहते हैं, लेकिन जब कभी भूकंप भयानक शक्ल अख्तियार करता है तो तबाही बड़ी होती है.
नेपाल में 81 साल बाद इतना भयानक भूकंप आया है, जिससे उबरने में नेपाल को काफी वक्त लगेगा. विनाश फैलाने वाला ये कंपन हिमालय के भीतर से निकला है. हिमालय के गर्भ में तहस-नहस कर सकने वाली हलचल अब तेज होने लगी है. इंडियन और यूरेशियन प्लेटों के टकराव के कारण ये तबाही आई है.
धरती चार परतों से बनी है- इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मेंटल को लिथोस्फेयर कहा जाता है. लिथोस्फेयर 50 किलोमीटर की मोटी परत होती है. ये परत वर्गों में बंटी है और इन्हें टेक्टोनिकल प्लेट्स कहते हैं.
जब इन टेक्टोनिकल प्लेटों में हलचल तेज होती है तो भूकंप आता है. इस बार हिमालय की सक्रियता ने नेपाल सहित उत्तर भारत में भारी तबाही मचाई है, वो इसलिए कि भूकंप के केंद्र की गहराई महज 10 किलोमीटर है और भू वैज्ञानिकों का कहना है कि भूकंप के केंद्र की गहराई जितनी कम होती है, तबाही उतनी ही ज्यादा होती है.