दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी विषय को चुनने वाले छात्रों की कम होती संख्या पर चिंतित विश्वविद्यालय के शिक्षकों के एक वर्ग ने हिंदी को फिर से अनिवार्य बनाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय में अर्जी दाखिल की है.
100 से अधिक शिक्षकों के हस्ताक्षर वाली इस अर्जी को दाखिल करने वाले रवि शर्मा श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में सहायक प्रोफेसर हैं. इसे प्रधानमंत्री कार्यालय सहित विश्वविद्यालय के विजिटर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के कार्यालय भी भेजा गया है.
डीयू के कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए इस विषय को ‘क्रेडिट कोर्स’ या किसी ‘क्वालिफाइंग कोर्स’ के तौर पर पढ़ना जरूरी था, लेकिन इस सत्र में ‘चयन आधारित क्रेडिट सिस्टम’ लागू होने के बाद छात्रों के पास इसकी पढ़ाई नहीं करने का विकल्प है.
सीबीसीएस के लागू होने से छात्रों को ‘क्षमता संवर्धन कोर्स’ :एईसी: के तहत आधुनिक भारतीय भाषा जिसमें हिन्दी और अंग्रेजी शामिल हैं में से किसी एक को चुनने का विकल्प होगा.
यूजीसी प्रणाली के मुताबिक एईसी में अब दो विषय हैं - पर्यावरण विज्ञान और एमआईएल..अंग्रेजी. उन्होंने कहा, 'यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं है कि एसआरसीसी में प्रथम वर्ष में दाखिला लेना वाले किसी भी छात्र ने हिंदी कक्षा के लिए नामांकन नहीं कराया है. इससे पहले की व्यवस्था में हिंदी एक अनिवार्य विषय था.'
इनपुट: भाषा