यूपी के गाजीपुर में स्कूल ने बच्चे को पढ़ाने से सिर्फ इसलिए मना कर दिया था क्योंकि वह एचआईवी पॉजिटिव था. लेकिन परिवार ने अपने बच्चे को शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए तीन साल लंबी जंग लड़ी और जीत हासिल की.
इस बच्चे के माता-पिता भी 2011 में एचआइवी पॉजिटिव पाए गए थे. इस वजह से उन्हें सामाजिक बहिष्कार भी झेलना पड़ रहा था. लोगों ने परिवार से बात करना छोड़ दिया था. उनकी छुई किसी भी चीज से लोग दूर रहने लगे थे. इलाके के किसी भी स्कूल ने उसे एडमिशन देने से इनकार कर दिया.
एडमिशन के लिए स्कूलों में गए तो कहा गया कि अगर उन्होंने बच्चे का एडमिशन किया तो दूसरे अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल से निकाल देंगे. आखिरकार इस रवैये के खिलाफ बच्चे के मां-बाप जिला प्रशासन के पास पहुंचे. तब जाकर उन्हें इंसाफ मिला, प्रशासन ने आदेश दिया है कि बच्चे का स्कूल में एडमिशन कराया जाए.
गाजीपुर जिला प्रशासन स्कूल और वहां पढ़ने वाले बच्चों के मां-बाप से इस बारे में बात करेगा. उनकी काउंसलिंग की जाएगी ताकि स्कूल में एडमिशन के बाद बच्चे के साथ किसी तरह का भेदभाव न किया जाए.
इस बारे में यूपी के नेशनल एड्स कंट्रोल प्रोग्राम के दयानंद कुमार गुप्ता ने बताया कि जागरूकता की कमी के कारण ऐसा वाकया देखने को मिल रहा है. लोगों को यह समझना होगी कि एचआईवी पॉजिटिव होने का मतलब यह नहीं कि आपको एड्स हो गया है. एड्स कोई छुआछूत की बीमारी भी नहीं. गाजीपुर के एसडीएम बच्चे को स्कूल में एडमिशन कराने का जिम्मा संभालेंगे. वह परिवार के इलाज में भी मदद करेंगे.