अगर आपके इरादे मजबूत हैं तो आप सफलता की सीढ़ियां जरूर चढ़ेंगे. आज हम ऐसी लड़की के बारे में बताने जो रहे हैं जो केरल की रहने वाली हैं और कोझिकोड जिले के कोडुवल्ली गांव की रहने वाली हैं और नासा में तीन महीने की इंटर्नशिप करके अपने घर लौटी हैं.
जानें कौन हैं ये लड़की
27 साल की आश्ना सुधाकर एक किसान की बेटी हैं. आश्ना की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से हुई. अक्सर हम ऐसा सोचते हैं कि गांव में रहने वाले बच्चे शहरों के बच्चों से कम होते हैं लेकिन आश्ना ने सभी को गलत साबित कर दिखाया. आपको बता दें, वह देश के पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम को अपनी प्रेरणा मानती है और उनका कहना है 'जब वह 10वीं कक्षा में थी तब अब्दुल कलाम का भाषण सुना था. उसी से प्रेरणा वह आगे बढ़ी. आज वह रिसर्च स्कॉलर बन गई हैं.
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बता दें, MSC फिजिक्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में इंटर्नशिप के लिए अप्लाई किया लेकिन उनका ये आवेदन स्वीकार नहीं किया गया. आश्ना जानती थी कि सफलता आसानी से नहीं मिलेगी .जिसके बाद उन्होंने अपनी कोशिश जारी रखी. स्कूल पूरा होने के बाद उन्होंने फिजिक्स में ग्रेजुएशन किया और फिर तिरुचिरापल्ली से पोस्ट ग्रेजुएशन किया.
ऐसे मिली NASA में इंटर्नशिप
आश्ना ने एक दिलचस्प बात बताते हुए कहा कि नासा में इंटर्नशिप मिलना गर्व की बात है लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी जब मैं 8वीं कक्षा में थी तो नहीं मालूम था अंतरिक्ष जैसी जैसी भी कोई चीज होती है. आपको बता दें, वह नासा के गोडार्ड स्पेस फाइटिंग स्पेस सेंटर में इंटर्नशिप कर चुकी हैं. डेक्कन क्रॉनिकल से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि 'मैने यह कभी नहीं सोचा था कि मुझे नासा में इंटर्नशिप करने का मौका मिलेगा. मुझे लगता था कि मैं इसरो या फिर विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में काम करूंगी.
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आपको बता दें, आश्ना ने अपनी एमफिल थीसिस इंटर्नशिप के लिए 100 साल पुरानी कोडइनकल फिजिक्स ऑब्जर्वेटरी में आवेदन किया था. वहां पर 4-5 स्टाफ थे औऱ सभी पुरुष थे. वहां पर आश्ना का इंटरव्यू अच्छा नहीं रहा. बाद में उन्होंने नैनीताल स्थित आर्यभट्ट रिसर्च सेंटर में भी आवेदन किया. वहीं इस दौरान उन्होंने पूरे भारत में अंतरिक्ष से जुड़े कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया. वह 15 दिन के लिए महाराष्ट्र में थीं. वहां पर उन्होंने नासा की SCOSTEP विजिटिंग स्कॉलरशिप के बारे में जानकारी हासिल की.
SCOSTEP के तहत युवा वैज्ञानिकों को सोलर भौतिकी लैब्स के बारे में जानकारी दी जाती है. आश्ना का रिसर्च सूर्य के जिओ इफेक्टिवनेस पर आधारित था और उन्हें यह स्कॉलरशिप मिलने की ज्यादा उम्मीद नहीं थी क्योंकि एक साल में सिर्फ चार लोगों को ही यह स्कॉलरशिप मिलती है. लेकिन कुछ समय बाद उन्हें नासा की तरफ से मेल मिला कि उन्हें गोडार्ड स्पेस फ्लाइट स्पेस सेंटर में इंटर्नशिप मिल गई है.बता दें 'नासा में पहुंचने के बाद उनका काम सोलर रेडियो बर्स्ट पर था. उन्हें सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक रिसर्च करना होता था. सेंटर 24 घंटे खुला रहता था.