विदेश मंत्रालय के इस प्रस्ताव के अनुसार अगर भारत में केंद्रीय विद्यालयों में जर्मन भाषा को ऑप्शनल विषय के तौर पर पढ़ाया जाएगा तो इसके बदले में जर्मनी में भी बराबर संख्या में हिंदी या भारत की कोई दूसरी भाषा पढ़ानी होगी. सरकार अगले कुछ दिनों में जर्मनी के वार्ताकारों से इस नई शर्तों पर बात करेगी और जल्द ही नए सहमति पत्र पर केंद्रीय विद्यालय संगठन और गोथ इंस्टिट्यूट की ओर से हस्ताक्षर किए जाएंगे.
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जर्मनी यात्रा पर सबसे बड़े इंडस्ट्रियल फेयर में हिस्सा लेंगे. भारत में जर्मन भाषा के इस विवाद का असर उनकी यात्रा पर पड़ सकता है.
इसलिए यात्रा से ठीक पहले इस विवाद का हल निकालने की कोशिश की गई है. आपको बता दें कि एचआरडी मंत्रालय ने 6 महीने पहले केंद्रीय विद्यालयों में तीसरी भाषा के तौर पर जर्मन की पढ़ाई बंद कर दी थी.
विदेश मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जर्मन भाषा विवाद को लेकर सभी मुद्दे सुलझाने के लिए कहा था. हालांकि मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इस प्रस्ताव कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि जर्मनी में कितने स्कूलों को हिंदी पढ़ानी होगी और जर्मन स्कूलों में प्रशिक्षित टीचर्स पर कितना खर्चा आएगा.