देश के भीतर जारी राइट टू एजुकेशन एक्ट के भीतर क्लास 6 तक के बच्चों को फेल होने पर भी आगे बढ़ाने के क्रम में एक अड़ंगा आ गया है. इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (ICSE) इस कोशिश में है कि वे क्लास 6 से 10 तक के स्टूडेंट्स की क्षमताओं की मूल्यांकन प्रक्रिया को जारी रखेंगे.
क्या कहते हैं मुख्य सचिव...
ICSE बोर्ड काउंसिल के मुख्य सचिव गेरी अराथून कहते हैं कि कैबिनेट के CABE रिकमेंडेशन और संसद द्वारा शिक्षा के अधिकार में फेरबदल के बाद इसे काउंसिल के समक्ष अप्रूवल के लिए रखा जाएगा. यह काउंसिल सारे संबंधित स्कूलों को डिटेंशन प्रक्रिया लागू करने के लिए कहेगा. वे चाहते हैं कि यह पूरे देश में समान रूप से लागू हो. इसके अलावा वे चाहते हैं कि वर्तमान में क्लास 8 तक के सभी स्टूडेंट्स को आगे बढ़ा देने की प्रक्रिया पर रोक लगे.
वे विभिन्न राज्यों द्वारा नो-डिटेंशन पॉलिसी के अलग-अलग इस्तेमाल पर भी चिंता जताते हैं. वे इसे समान नियम प्रणाली के भीतर की चूक बताते हैं. साथ ही वे इसे स्टूडेंट्स की कार्यक्षमता को परखने और उसे इम्प्रूव करने की जरूरत बताते हैं.
काउंसिल के संविधान पर पूछे गए सवाल कि वे तो सिर्फ परीक्षाएं कराने और मान्यता देने का अधिकार रखते हैं पर वे कहते हैं कि शिक्षा व्यवस्था में समानता लाने के लिए वे सलाह तो दे ही सकते हैं.