केंद्र के प्रस्तावित ड्राफ्ट IIM बिल को लेकर अहमदाबाद समेत छह भारतीय प्रबंधन संस्थानों ने प्रस्तावित नए विधेयक का खुलकर विरोध किया है.
IIM अहमदाबाद के डायरेक्टर आशीष नंदा और चेयरमैन एएम नायक ने खुले तौर पर कह दिया है कि वो इस बिल से नाखुश हैं और अगर ये बिल संसद में पारित किया गया, तो आईआईएम जैसी संस्थाएं दुनिया में अपनी प्रतिष्ठा खो देंगी.
क्या है पूरा विवाद:
मानव संसाधन मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बिल, 2015 का ड्राफ्ट प्रस्तुत किया है. इन प्रावधानों के मुताबिक, आईआईएम के बोर्ड वैसे तो संस्थान के कामकाज में प्रमुख भूमिका निभाएंगे ही, लेकिन बोर्ड के ऊपर भी केंद्र सरकार द्वारा तय किया गया एक विजिटर होगा, जो बोर्ड के फैसलों को चाहे तो बदल भी सकता है. इस बिल के मुताबिक संस्थान को ज्यादातर फैसलों पर केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी जरूरी होगी, जिसमें फीस तय करने से लेकर, डायरेक्टर व चेयरमैन तक के कार्यकाल पर भी केंद्र सरकार का फैसला ही आखिरी होगा. मकान बनाने के लिए हो रहे खर्च को लेकर भी केंद्र सरकार के पास जाना पड़ेगा.
महत्वपूर्ण है कि आईआईएम प्रमुख मैनेजमेंट संस्थानों में शुमार होता है. संस्थानों का मानना है कि सरकार ने जो बिल बनाया है इसका असर देशभर के आईआईएम की स्वाधीनता पर पड़ेगा.