कुछ समय पहले तक गुजरात के पलाज गांव के बच्चों ज्यादा किताबें नहीं पढ़ पाते थे. इसका कारण बच्चों की पढ़ाई में कम दिलचस्पी नहीं बल्कि उनके पास किताबों की कमी थी.पर अब इस गांव के बच्चों की ऐसी हालत नहीं है. उनके पास एक लाइब्रेरी है जहां खूब किताबें हैं. इस लाइब्रेरी को बनाने का श्रेय IIT गांधीनगर के छात्रों को जाता है.
पिता चलाते हैं ऑटो, 19 वर्षीय बेटे ने Youtube देखकर बनाई अपनी कार...
कैसी है लाइब्रेरी
लाइब्रेरी में 100 से ज्यादा किताबें हैं. ये किताबें हिंदी, अंग्रेजी और गुजराती में हैं. फिक्शन, नॉन-फिक्शन और टेक्स्टबुक्स यहां पर हैं. यहां 7 से 14 साल तक के बच्चों के लिए किताबें हैं. यहां ज्यादातर ऐसी किताबें हैं जिन्हें लोगों ने डोनेट किया है. इस लाइब्रेरी के लिए बुक शेल्व्स यहां के बच्चों ने खुद बनाए हैं. इसका रखरखाव भी गांव के बच्चे ही करते हैं. भविष्य में इस लाइब्रेरी में और किताबें लाने का लक्ष्य इन छात्रों ने रखा है.
दो महिलाओं ने बदली गांव की किस्मत, अब कोई भूखा नहीं सोता...
किसका है ये आइडिया
लाइब्रेरी बनाने का यह आइडिया IIT गांधीनगर में बीटेक के दूसरे वर्ष के कुछ छात्रों का है. अक्षत पचौरी, रजत रंजन, यश पटेल, रजत गोयल, रोहित सिंह इस टीम में शामिल हैं. टीम की अगुवाई प्रतीक वर्मा ने की.