प्रख्यात परमाणु वैज्ञानिक अनिल काकोडकर और स्मृति ईरानी के बीच मतभेद अब खुलकर सामने आ गया है. अनिल काकोडकर ने आईआईटी डायरेक्टर्स चयन पर सवाल उठाते हुए कहा है कि चयन प्रक्रिया के दौरान महज औपचारिकता पूरी की गई.
उन्होंने आगे कहा कि आईआईटी जैसे बड़े इंस्टीट्यूट में इस तरह की औपचारिकता पूरा करना देश के लिए अच्छा नहीं है, चयन के दौरान काफी सोच-समझकर फैसला लेना होता है. काकोडकर का मानना है कि एक दिन में 36 उम्मीदवारों का इंटरव्यू करना सही नहीं है, ऐसा करना चयन प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करता है, जिससे सही उम्मीदवार का चयन नहीं हो सकता है.
दरअसल आईआईटी रोपड़, पटना और भुवनेश्वर के डायरेक्टर्स चयन प्रक्रिया से असहमति के बाद काकोडकर ने बंबई आईआईटी के बोर्ड ऑफ गवर्नेंस के अध्यक्ष पद से 12 मार्च को इस्तीफा दे दिया था. मगर स्मृति ईरानी से बातचीत के बाद वे कार्यकाल तक पद पर बने रहने को राजी हो गए हैं.
कार्यकाल तक पद पर बने रहने के बावजूद भी उन्होंने रविवार को हुई सर्च-कम-सेलेक्शन मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया, इसी पैनल ने 12 उम्मीदवारों को आईआईटी डायरेक्टर्स लिए शोर्टलिस्ट किया था, जिसे बाद में हटा लिया गया.
मीटिंग में ना जाने के बारे में उन्होंने कहा है कि IIT-बंबई बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग खत्म हो चुकी है, और इसी कारण मैं वहां नहीं गया. अगर वे चाहते थे कि मैं पद पर बना रहूं तो मैं पद पर हूं क्योंकि मैं एक जिम्मेवार आदमी हूं.
उनसे जब यह पूछा गया कि आप डायरेक्टर्स चयन प्रक्रिया के लिए किसी मीटिंग में शामिल होंगे तो उन्होंने कहा कि यह प्रोसेस खत्म हो चुका है.