IITs की कक्षा में छात्र और छात्राओं की संख्या को संतुलित करने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) एक अहम कदम उठाने जा रहा है. आईआईटी में छात्राओं के लिए सीट का कोटा 20 फीसदी बढ़ाया जा रहा है.
यह निर्णय शनिवार को हुए ज्वाइंट एडमिशन बोर्ड (JAB) की बैठक में लिया गया. इस निर्णय को पूरी तरह लागू करने में 3 साल लगेंगे. साल 2018 में लड़कियों के लिए 14
फीसदी सीटें बढ़ाई जाएंगी, साल 2019 में 17 फीसदी और साल 2020 में 20 फीसदी सीटें बढ़ाई जाएंगी.
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HRD अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि 20 फीसदी सुपरन्यूमेररी कोटा सिर्फ तभी लागू होगा, जब एडमिशन में छात्राओं का अनुपात बहुत ज्यादा कम होगा. मसलन, अगर 100 सीटों में सिर्फ 10 छात्राओं को ही एडमिशन मिल पाया है तो फिर सिर्फ छात्राओं के लिए सीटों में 20 फीसदी का इजाफा किया जाएगा और इन अतिरिक्त सीटों पर एडमिशन के दौरान कट ऑफ कम ही रखने की कोशिश की जाएगी.
IITs में एडमिशन लेने वाली छात्राओं की संख्या को सुधारने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है. साल 2014 में 8.8 फीसदी छात्राओं को IITs में एडमिशन मिला था, साल 2015 यह संख्या बढ़कर 9 फीसदी हो गया. पर साल 2016 में संख्या में गिरावट आई और आंकड़ा 8 प्रतिशत पर पहुंच गया.
ज्वॉइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी (JOSAA) इस बारे में विचार कर रही है कि IIT और NIT की काउंसलिंग एक साथ की जाए. शनिवार को यह भी तय हुआ कि इस साल
काउंसलिंग के कुल 7 राउंड होंगे. जो स्टूडेंट काउंसलिंग के चार राउंड बाद भी अपनी पसंद का कोर्स नहीं चुनेंगे, उनकी एडमिशन फीस का 50 प्रतिशत हिस्सा जब्त हो जाएगा. पिछले
साल तक IIT और NIT ने काउंसलिंग के कुल छह राउंड किए थे.
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IIT और NIT को उनके सबसे ज्यादा प्रचलित कोर्स के बारे में पता करने को भी कहा गया है जिससे कम रुचि वाले कोर्स की सीटों को कम किया जा सके. इससे हर साल खाली रहने वाली सीटों को कम किया जा सकेगा. पिछले साल 23 IIT , 32 NIT और कुछ सरकारी टेक्निकल इंस्टीट्यूट्स में 3,000 सीट छह राउंड की काउंसलिंग के बाद भी खाली रह गई थीं. इसमें IIT की 73 और NIT की 1,518 सीटें शामिल थीं.