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IIT एंट्रेंस एग्जाम में 6 फीसदी मार्क्स पर एडमिशन

देश के बड़े इंजीनियरिंग कॉलेजों इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में कमजोर वर्ग के स्टूडेंट्स को एडमिशन के लिए और छूट मिल सकती है.

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देश के बड़े इंजीनियरिंग कॉलेजों इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में कमजोर वर्ग के स्टूडेंट्स को एडमिशन के लिए और छूट मिल सकती है.

एक अंग्रेजी अखबार के 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' के मुताबिक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) ने कमजोर वर्ग के स्टूडेंट्स के लिए जेईई (एडवांस) की कट ऑफ 8.75 फीसदी से कम करके 6.12 फीसदी कर दी गई है. यानी अब आईआईटी के प्रिपेरेटरी कोर्सेज में स्टूडेंट्स का 504 में से 31 मार्क्स आने पर भी दाखिला होगा.

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कहा जा रहा है कि स्कूल एजुकेशन के स्टैंडर्ड में कमी, एग्जाम में नेगेटिव मार्किंग और आईआईटी में खाली सीटों को भरने के लिए आईआईटी ऐसा कर रहा है. दरअसल, जेईई एडवांस की कॉमन मेरिट लिस्ट 2014 में 35 फीसदी मार्क्स  पर एडमिशन होता था. 2015 में इन्हें कम करके 24.05 फीसदी कर दिया गया है. इसी तरह ओबीसी के लिए भी कट ऑफ  22.05 फीसदी और एससी, एसटी के लिए 12.05 फीसदी कर दी गई है. प्रिपेरेटरी कोर्सेज की कट ऑफ 8.75 फीसदी से कम करके 6.12 फीसदी कर दी गई है.

अगर आईआईटी में इस साल आरक्षित श्रेणी की सभी सीटें नहीं भरी जाती तो कट ऑफ में और कमी की जाएगी. फिलहाल पहले राउंड के सीट को बांटने के बाद 591 सीटें खाली रह गई हैं और इनमें से ज्यादातर सीटें आरक्षित श्रेणी के स्टूडेंट्स के लिए हैं. आईआईटी के डायरेक्टर का कहना है कि सीटों की सही स्थिति का पता तीसरे राउंड के बाद चलेगा.

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आपको बता दें कि प्रिपेरेटरी प्रोग्राम्स एक साल का स्पेशल कोचिंग प्रोग्राम है जो मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री सब्जेक्ट्स के लिए होता है. यह प्रोग्राम आरक्षित श्रेणी के स्टूडेंट्स के लिए है और देश के 18 इंस्टीट्यूट्स में चलाया जाता है.

आईआईटी के डायरेक्टर ने कहा, ‘आईआईटी को एडमिशन के लिए संवैधानिक आरक्षण को मानना पड़ता है. इसके साथ ही सीटों को भी खाली नहीं छोड़ा जा सकता. सरकार सिर्फ स्कूल लेवल पर सेकेंडरी एजुकेशन में सुधार करके इसका हल निकाल सकती है.’ इस साल एडमिशन के नए फॉर्मूले के तहत आईआईटी पहले ही प्रिपेरेटरी प्रोग्राम्स में 31 से ज्यादा मार्क्स और 62 से कम मार्क्स के स्टूडेंट्स को एडमिशन दे चुकी है.

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