इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए काम कर रहे चिकित्सा कर्मचारियों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में वृद्धि को लेकर डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए एक कानून लाने के लिए केंद्र से मांग की है.
आईएमए ने बुधवार को White Alert के जरिये देश भर के अस्पतालों और चिकित्सा कर्मचारियों पर हो रहे हमलों के विरोध में मोमबत्ती जलाने के लिए कहा है. आईएमए ने सोमवार को एक बयान में कहा कि राष्ट्र के लिए व्हाइट अलर्ट में, सभी डॉक्टर और अस्पताल 22 अप्रैल को विरोध प्रदर्शन और सतर्कता के रूप में एक मोमबत्ती जलाएंगे. इस दौरान सभी को व्हाइट कोट पहनने के लिए भी कहा गया है.
मेडिकल बॉडी ने कहा है कि सफेद कोट पहनकर एक मोमबत्ती जलाओ. व्हाइट अलर्ट सिर्फ एक चेतावनी है. बयान में कहा गया है कि यदि सरकार 22 अप्रैल को 'व्हाइट अलर्ट' के बाद भी डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने में विफल रहती है, तो 23 अप्रैल को काला दिवस मनाया जाएगा. इस दिन देश के सभी डॉक्टर काले बैज पहनेंगे.
#IMA demands Special Central Law Against Violence on Doctor’s & Declares White Alert to the nation on 22.04.2020 & Black Day on 23.04.2020. pic.twitter.com/inFOSiJusI
— Indian Medical Association (@IMAIndiaOrg) April 20, 2020
अधिकारियों ने इस तरह की घटनाओं को रोकने में विफल रहने पर चेन्नई के एक डॉक्टर की मौत का हवाला दिया है. आईएमए ने सभी डॉक्टरों और अस्पतालों से 22 अप्रैल को रात नौ बजे एक मोमबत्ती जलाकर अपना विरोध जाहिर करने के लिए कहा है. आईएमए ने कहा कि यह बहुत चिंता का विषय है कि जिन डॉक्टरों की ड्यूटी की लाइन में ही मौत हो गई थी, उनके साथ भी बेहद शर्मनाक व्यवहार किया गया था.
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कोविड -19 महामारी के दौरान ही स्वास्थ्यकर्मियों पर की गई हिंसा और हमलों का उल्लेख करते हुए आईएमए ने कहा है कि डॉक्टरों ने ऐसे हालात में भी बहुत संयम दिखाया है. इसका मतलब यह नहीं है कि हमारा धैर्य अंतहीन है. दुर्व्यवहार, हिंसा, थूकना, पथराव करना, हमें कहीं प्रवेश से इनकार करना ये सब अब तक सहन किया गया है. इसकी वजह ये भी थी कि हमें उम्मीद थी कि सरकारें अपना सामान्य कर्तव्य करेंगी.
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आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजन शर्मा ने कहा कि इस देश के डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्य कर्मियों को बिना पीपीई किट के COVID-19 के खिलाफ लड़ने के लिए भेजा गया है और वे अपने लोगों का बचाव करते हुए मर रहे हैं. यदि ऐसी सेवाओं के मूल्य का एहसास नहीं होता है, तो डॉक्टर समुदाय के लिए सबसे आसान काम होगा कि वो घर पर बैठें.