दिल्ली के सरकारी स्कूलों में स्टाफ की कमी के कारण अब स्वयंसेवको को पढ़ाने के लिए बुलाया जा रहा है. इनमें कुछ तो उन्हीं स्कूलों के पुराने छात्र हैं तो कुछ बिना प्रशिक्षण के पढ़ा रहे हैं.
इस व्यवस्था से सरकारी स्कूलों के टीचर्स परेशान हैं. उनका मानना है कि इससे यह संदेश जाता है कि कोई भी टीचिंग कर सकता है. एक अध्यापक ने कहा, 'यह टेंपरेरी उपाय है. इनमें से अधिकतर प्रशिक्षित नहीं है इसलिए हम उनकी टीचिंग पर भरोसा नहीं कर सकते. ये सभी एक माह तक पढ़ाएंगे और इन्हें इसके लिए तनख्वाह भी नहीं मिलेगी.'
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चुनौती 2018 कार्यक्रम के तहत प्रिंसिपल्स को कहा गया है कि वे स्वयंसेवी संस्था के माध्यम से या ऐसे स्वयंसेवकों को खोजें जो पढ़ा सकें. पर विशेषज्ञ कह रहे हैं कि यह खतरे की घंटी है क्योंकि जिनके पास टीचिंग का प्रशिक्षण नहीं है वे ये समझ नहीं पाते कि हर बच्चे की क्या आवश्यकता है और उसे कैसे पढ़ाना है.
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आपको जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली के स्कूलों में 14 हजार पोस्ट ऐसी हैं जिन पर गेस्ट टीचर्स भी नही हैं.