यूनाइटेड नेशन की एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में स्कूलों में दाखिला करवाने और लड़के-लड़कियों के बीच शिक्षा को लेकर फासला मिटाने में प्रगति के लिए जिन देशों की तारीफ की, उनमें भारत भी है. लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक वयस्क साक्षरता के मामलों में भारत को भी अभी काफी कुछ करना है.
साल 2000 में ‘सबके लिए शिक्षा’ के लक्ष्य पर 164 देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय सहमति हुई थी. इस लक्ष्य पर अमल में कई देश कितना आगे बढ़े, यूनेस्को ने इसी की समीक्षा की है. इसके मुताबिक प्राइमरी स्कूल के स्तर पर भारत में तकरीबन 99 फीसदी बच्चों का एडमिशन हो रहा है.
खास बात यह है कि इनमें लड़के और लड़कियों की संख्या समान है . कई दूसरी रिपोर्ट ने भी पुष्टि की है कि मुफ्त एवं अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) लागू होने के बाद से 6-14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के स्कूल जाने में भारी बढ़ोतरी हुई है.
गौरतलब है कि साल 2000 में तय एजेंडे में छह लक्ष्य थे, जिन पर पूरी प्रगति सिर्फ एक तिहाई देशों ने की है. इनमें प्रेप (प्राइमरी शिक्षा से पहले) स्तर पर सभी बच्चों का एडमिशन, उनकी पूरी देखभाल, माध्यमिक स्तर पर भी लैंगिक समता लाने और वयस्क साक्षरता के मामलों में भारत को भी अभी काफी कुछ करना है.