अंतरिक्ष की दुनिया में बुधवार का दिन भारत के लिए बेहद अहम साबित हुआ. उम्मीद के मुताबिक, मंगलयान मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित हो गया. इसरो के वैज्ञानिक अपने सबसे बड़े अभियान में जी जान से जुटे रहे. मंगलयान से इसरो का संपर्क पहले ही स्थापित हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस ऐतिहासिक मौके पर बेंगलुरु के इसरो सेंटर पहुंचकर वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया. मंगलयान ने अपने कैमरे से मंगल ग्रह की पांच तस्वीरें भी खींच ली हैं. इन हाई डेफिनिशन तस्वीरों में लाल ग्रह की सतह नजर आ रही है. बताया जा रहा है कि इसरो बहुत जल्द ये तस्वीरें जारी कर सकता है.
सुबह 7 बज कर 17 मिनट पर 440 न्यूटन लिक्विड एपोजी मोटर (एलएएम), यान को मंगल की कक्षा में प्रविष्ट कराने वाले थ्रस्टर्स के साथ तेजी से सक्रिय हुई ताकि मंगल ऑर्बिटर मिशन (MOM) यान की गति इतनी धीमी हो जाए कि लाल ग्रह उसे खींच ले. इंजन स्टार्ट होने के बाद मंगलयान उस सफर पर निकल पड़ा, जिसमें पहली कोशिश में कामयाबी दुनिया के किसी देश को नहीं मिली. ये कामयाबी हिंदुस्तान को मिल गई है. मिशन की सफलता का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा एमओएम का मंगल से मिलन.
अंतरिक्ष विज्ञान में भारत ने लिखा इतिहासWhat is red, is a planet and is the focus of my orbit? pic.twitter.com/HDRWjOcPus
— ISRO's Mars Orbiter (@MarsOrbiter) September 24, 2014
मंगलयान के 300 दिन तक के सफर में हुई घटनाओं का घटनाक्रम इस प्रकार है
5 नवंबर 2013: इसरो के पीएसएलवी सी25 ने आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन का प्रक्षेपण किया.
7 नवंबर: पहली पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न.
8 नवंबर: दूसरी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न.
9 नवंबर: तीसरी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न.
11 नवंबर: चौथी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न.
12 नवंबर: पांचवी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न.
16 नवंबर: छठी पृथ्वी-नियंत्रित प्रक्रिया संपन्न.
1 दिसंबर: एमओएम ने छोड़ी पृथ्वी की कक्षा, मंगल की ओर रवाना (ट्रांस मार्स इंजेक्शन)
4 दिसंबर: एमओएम 9.25 लाख किलोमीटर के दायरे वाले पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव क्षेत्र से बाहर निकला.
11 दिसंबर: अंतरिक्षयान पर पहली दिशा संशोधन प्रक्रिया संपन्न.
11 जून 2014: दूसरी दिशा संशोधन प्रक्रिया संपन्न.
22 सितंबर: एमओएम ने किया मंगल के गुरुत्वीय क्षेत्र में प्रवेश, 300 दिन तक सुप्तावस्था में पड़े रहने के बाद 440 न्यूटन लिक्विड एपोजी मोटर का प्रायोगिक परीक्षण, अंतिम पथ संशोधन कार्य संपन्न.
24 सितंबर: एमओएम मंगल की लक्षित कक्षा में पहुंचा, भारत पहले ही प्रयास में लाल ग्रह पर मिशन भेजने में सफलता हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बना.
यह है मकसद
इस मिशन से मंगल ग्रह के बारे में ढेरों जानकारियां हासिल होंगी. शायद हमें पता चल पाएगा कि क्या मंगल पर मीथेन गैस है, क्या इस ग्रह के गर्भ में खनिज छिपे हैं, क्या यहां बैक्टीरिया का भी वास है और क्या यहां जिंदगी की संभावनाएं भी हैं. अगर भारत का मार्स ऑर्बाइटर मिशन यानी मंगलयान अपने मकसद में पूरी तरह कामयाब रहता है तो फिर अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक की दुनिया में हिंदुस्तान निश्चित रूप से एक नया मुकाम हासिल कर लेगा.