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Mind Rocks: 10 साल की जमीनी मेहनत से रिया ऐसे बनीं बिलेनियर उद्यमी

रिया सिंघल (Rhea Singhal) ने जमीन पर उतरकर सिंगल यूज प्लास्टिक की जगह एक नया विकल्प देने की कोशिश की थी. उनकी कोशिश ने दस साल में उन्हें बिलेनियर बना दिया, जानें- उनके सफर के बारे में.

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India Today mind rocks 2019 में बोलते हुए रिया सिंघल
India Today mind rocks 2019 में बोलते हुए रिया सिंघल

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आज से 10 साल पहले सिंगल यूज प्लास्ट‍िक के खिलाफ कोई बिजनेस खड़ा करना इतना आसान नहीं था. लेकिन, रिया सिंघल (Rhea Singhal) ने जमीन पर उतरकर सिंगल यूज प्लास्टिक की जगह एक नया विकल्प देने की कोशिश की थी. इंडिया टुडे माइंड रॉक्स 2019 के न्यू एज आइकंस हाउ टू बिकम एक बिलेनियर में अपने इस सफर पर बात की.

रिया ने बताया कि 2009 में वो पढ़ाई करके विदेश से लौटी थीं. तब उनकी उम्र सिर्फ 29 साल की थीं. उन्होंने कहा कि उस दौर में सिंगल यूज प्लास्ट‍िक को लेकर लोगों में इतनी जागरूकता नहीं थी. मैंने तब इकोवेयर नाम से कंपनी डाली थी. कंपनी में हम बायोडिग्रेबल और कंपोजिटेबल प्रोडक्ट प्लेट, बाउल, कप, ट्रे, बैग आदि बना रहे थे. जब लोगों से कहो कि प्लास्टिक की जगह इन्हें इस्तेमाल करो तो कोई समझता ही नहीं था.

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वो कहती हैं कि तब स्वच्छ भारत अभियान जैसी पहल नहीं हुई थी. मैं अपना आइडिया लेकर जमीनी स्तर पर लोगों से जाकर मिली. वो कहती हैं कि मैं ग्रास रूट लेवल पर सदर बाजार और चांदनी चौक में दुकानदारों से मिली. मैंने उन्हें समझाया कि किस तरह ये उत्पाद लोगों तक पहुंचाना बहुत जरूरी है. उन्हें इसके बारे में बताया जिसका मुझे काफी असर दिखने लगा था.

अपना एक अनुभव वो इस तरह बताती हैं कि जब मैं एक दिन गुड़गांव के एक बाजार गई थी. वहां मैंने दुकानदार से इस प्रोडक्ट के बारे में समझाया, उन्होंने मुझे कहा कि मैडम, ये नहीं चलेगा. मैं वहां से वापस आ गई, और दूसरा रास्ता तलाशा.

मैं वहां के आरडब्ल्यूए और स्कूलों में गई, लोगों को इसके बारे में समझाया. लंबे समय तक अभियान चलाने के बाद का ही प्रयास है, कि कई साल बाद उसी मार्केट से दुकानदार का फोन आया कि मैडम ये चलेगा. सही मायने में मेरा सफर मैडम नहीं चलेगा से मैडम यही चलेगा तक का है. रिया उद्यमी होने के लिए इंसान में अपने बिजनेस को समझने का गुण जरूरी मानती हैं. वो कहती हैं कि वो आप ही हैं जो अपने बिजनेस को समझ सकती हैं.

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