अब फैशन एक भाषा है और हम सब इसे बोलते हैं. कई बार इरादतन लेकिन अक्सर गैर-इरादतन. हालांकि फैशन का विज्ञान और उसे वास्तव में गढऩे की कला एक निहायत अलग बात है. कुछ लोग इसे समझते हैं, कुछ सीखते हैं. लेकिन जो भी इसे व्यावसायिक तौर पर आजमाना चाहता है, उसे फैशन की दुनिया में उतरने से पहले इस कला को सान पर चढ़ाना होता है. फैशन स्कूलों की भूमिका यहीं सामने आती है.
और नब्बे के दशक की शुरुआत में आर्थिक उदारीकरण की वजह से फैशन के एक व्यापक दायरे में वांछनीय तौर पर जगह बनाने के बाद से लगभग दो दशकों से दक्षिण दिल्ली के हौज खास में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (एनआइएफटी या निफ्ट) देश के शीर्ष फैशन इंस्टीट्यूट्स का सिरमौर बना हुआ है. यह इंस्टीट्यूट छात्रों को सर्वश्रेष्ठ फैकल्टी, अत्याधुनिक कैंपस, अंतरराष्ट्रीय तालमेल का खुलापन और देश के प्रमुख फैशन डिजाइनरों से संवाद का मौका उपलब्ध कराता है. उसके पास अत्यधिक कुशल विकास व अनुसंधान टीम भी है.
केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय के न्यूयॉर्क के फैशन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की स्टेट यूनिवर्सिटी के साथ तकनीकी भागीदारी में 1986 में स्थापित निफ्ट ने तीन साल से लगातार इंडिया टुडे समूह-नीलसन बेस्ट कॉलेज सर्वेक्षण की फैशन रैंकिंग में अव्वल स्थान हासिल किया है. इस उपलब्धि की वाजिब वजहें भी हैं. निफ्ट में कई अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम हैं&फैशन कम्युनिकेशन, लेदर डिजाइन, ऐक्सेसरी डिजाइन, टेक्सटाइल डिजाइन और निटवियर डिजाइन में चार साल के बैचलर कोर्स हैं. फैशन मैनेजमेंट, डिजाइन स्पेस और फैशन टेक्नोलॉजी में दो साल का मास्टर्स कोर्स है. निफ्ट से ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों को वर्षों से एडीडास, आदित्य बिड़ला समूह, आर्थर एंडरसन, एस्पिरिट और टाइटन जैसी कंपनियों में अपनी प्रतिभा निखारने का मौका मिलता रहा है. यहां के ग्रेजुएट्स ने दुनिया की कई शख्सियतों के लिए ड्रेसेज तैयार की हैं और वे मिलान, पेरिस तथा न्यूयॉर्क जैसी फैशन जन्नतों में उपस्थिति लगातार दर्ज कराते रहे हैं.
निफ्ट-दिल्ली को अपने क्षेत्र में बाकी लोगों से जो बात अलग करती है, वह है देशी-विदेशी प्रमुख फैशन डिजाइनर्स और घरानों के यहां इंटर्नशिप के रूप में वाजिब एक्सपोजर मिलना. निक्रट से 2009 में ग्रेजुएट होकर दिल्ली में प्रमुख फैशन हाउस जे.सी. पेक्को के साथ काम कर रही चांदनी जैन कहती हैं, “हमारी फैकल्टी सर्वश्रेष्ठ है. वे छात्रों को डिजाइन उद्योग का सम्मान करने और अपनी सांस्कृतिक विरासत के प्रति संवेदनशील होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.” जैन कहती हैं कि आखिरकार फैशन कोई छिछोरा काम तो नहीं है, अंतरराष्ट्रीय संबंध और एक्सचेंज कार्यक्रम एक अन्य खास बात है जो निफ्ट को धार देती है. मसलन, 2014-15 में 12 छात्रों ने पूरे सेमेस्टर का एक्सचेंज कार्यक्रम फैशन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (न्यूयॉर्क), ग्लासगो स्कूल ऑ आर्ट्स (यूके), मॉड-आर्ट इंटरनेशनल (फ्रांस) और एसमोड (जर्मनी) जैसे संस्थानों में किया.
निफ्ट दिल्ली की डायरेक्टर वंदना नारंग कहती हैं, “इथियोपियन टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (ईटीआइडीआइ) के साथ हुए समझौते (एमओयू) के तहत अफ्रीकी देश के छह छात्र इस समय नियमित छात्रों के रूप में फैशन मैनेजमेंट और फैशन टेक्नोलॉजी के फुलटाइम कोर्स कर रहे हैं. अमेरिका से भी एक छात्र बैचलर ऑफ डिजाइन का फुलटाइम कोर्स कर रहा है.”
हर साल निफ्ट मुंबई, बेंगलूरू, चेन्नै, कोलकाता और हैदराबाद समेत देशभर में कुल 15 कैंपस में अंडरग्रेजुएट तथा पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर लगभग 3,300 सीटें उपलब्ध कराता है. 1986 में शुरुआत के बाद से लगभग 6,000 छात्र यहां से कोर्स कर चुके हैं. दिल्ली में इंस्टीट्यूट के रिसोर्स सेंटर के पास अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप फैशन सूचना स्रोतों का विशाल भंडार है. मसलन, यहां की लाइब्रेरी में छात्रों और फैकल्टी के लिए 13,000 किताबें हैं, 150 सब्सक्रिप्शन हैं और दस ऑनलाइन पेड (भुगतान युक्त) डाटाबेस की सहूलियत है.
निफ्ट-दिल्ली समकालीन फैशन डिजाइन के कुछ सबसे बड़े नामों का ठिकाना रहा है, जिनमें रोहित बल, जे.जे. वलाया और सब्यसाची से लेकर मनीष अरोड़ा और रितु बेरी भी शामिल हैं.
मुख्य रूप से प्रोजेक्ट, इंटर्नशिप और प्रेजेंटेशन के जरिए कोर्स के अंग के तौर पर सालभर छात्रों के निरंतर मूल्यांकन और आकलन पर लगातार दबाव रखने के साथ-साथ यह फैशन इंस्टीट्यूट नए समय के इनोवेशन पर भी उतना ही केंद्रित है और छात्रों को प्रतिस्पर्धी तथा पूरी तरह जानकार बनाए रखने के लिए प्रौद्योगिकी आधारित पहल लागू करता रहता है.
उदाहरण के तौर पर निफ्ट के पाठ्यक्रम का एक खास पहलू उदार शिक्षण है जो अंतरराष्ट्रीय प्रोत्साहन और देशज सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने की जरूरत पर जोर देता है. इसके लिए क्राफ्ट क्लस्टर पहल की गई है जिसमें छात्रों को देशभर की शिल्प कला से परिचित कराया जाता है. 2014-15 के अकादमिक सत्र में 265 छात्र देशभर में क्राफ्ट क्लस्टर में गए और प्रमुख शिल्पकारों के साथ मिलकर काम किया.