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मशहूर शायर 'साहिर लुधियानवी' का लहज़ा था औरों से अलग..

मशहूर शायर और गीतकार साहिर लुधियानवी का असली नाम अब्दुल हुई साहिर था. उनका जन्म 8 मार्च 1921 में लुधियाना के एक जागीरदार घराने में हुआ था. उनके पिता धनी थे, लेकिन माता-पिता के एक-दूसरे से अलग होने के बाद उनका बचपन मां के साथ गरीबी में बीता.

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Sahir Ludhianvi
Sahir Ludhianvi

मशहूर उर्दू कवि, शायर और गीतकार साहिर लुधियानवी का जन्म साल 1921 में 8 मार्च को हुआ था. साहिर ने जब लिखना शुरू किया तब 'इकबाल, फ़ैज, फ़िराक आदि शायर अपनी बुलंदी पर थे, पर उन्होंने अपना खास लहज़ा और रूख़ अपनाया, उससे न सिर्फ उन्होंने अलग जगह बना ली, बल्कि वे शायरी की दुनिया पर छा गए. जानते हैं उनके और उनकी लाजवाब शायरी के बारे में.

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1. साहिर लुधियानवी का जन्म पंजाब के जागीदार घराने में हुआ.

2. साहिर की शिक्षा लुधियाना के 'खालसा हाई स्कूल' में हुई. कॉलेज के दिनों में ही वे अपने शेर और शायरी के लिए मशहूर हो गए थे.

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3. साल 1943 में उन्होंने 'तल्ख़ियां' नाम से अपनी पहली शायरी की किताब प्रकाशित करवाई.

4. साल 1948 में फि‍ल्म 'आजादी की राह पर' से फिल्मों में उन्होंने काम करना शुरू किया. पर उन्हें इस फिल्म के साथ असफलता का सामना करना पड़ा. इसके बाद साल 1951 में आई फिल्म 'नौजवान' के गीत 'ठंडी हवाएं लहरा के आए' से वह लोकप्रिय हुए.

5. साहिर की लोकप्रियता काफी थी और वे अपने गीत के लिए लता मंगेशकर को मिलने वाले पारिश्रमिक से एक रुपया अधिक लेते थे.

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6. फिल्म ताजमहल के बाद कभी कभी फिल्म के लिए उन्हें उनका दूसरा फिल्म फेयर अवाॅर्ड मिला. साहिर जी को अनेक पुरस्कार मिले, पद्म श्री से उन्हें सम्मानित किया गया.

देश और दुनिया के इतिहास में 8 मार्च

उनके कुछ प्रसिद्ध गाने
- आना है तो आ...

- मैं पल दो पल का शायर हूं...चलो एक बार फिर अजनबी बन जाएं हम दोनों...

- मन रे तू काहे न धीरे धरे..

लोकप्रिय शायरी

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- मैं पल-दो-पल का शायर हूं, पल-दो-पल मेरी कहानी है

- अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिब

- जज़्बात भी हिन्दू होते हैं चाहत भी मुसलमां होती है

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