नासा का स्पेसक्राफ्ट 'जूनो' पांच साल के सफर के बाद सोमवार को जूपिटर के ऑर्बिट में पानी की तलाश में पहुंच गया है. इसमें जूपिटर पर पानी की मौजूदगी से लेकर इसकी बनावट से जुड़े तमाम सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद है. इसे नासा की इस साल की सबसे बड़ी कामयाबी माना जा रहा है.
जानिए जूपिटर के बारे में:
जूपिटर, जिसे बृहस्पति भी कहते हैं. यह हमारे सोलर सिस्टम का सबसे बड़ा ग्रह है. जूपिटर इतना बड़ा है कि दूसरें सारे ग्रह इसके अंदर समा सकते हैं. अगर ये 80 गुना और बड़ा होता तो ये स्टार माना जाता. जूपिटर का नामकरण रोमन गॉड के किंग जूपिटर पर हुआ था. ये बहुत ही बड़ा गैस प्लैनेट है. इसका वातावरण सूर्य की तरह हीलियम और हाइड्रोजन गैस से बना है. आइए आपको बताते हैं जूपिटर से जुड़े कुछ रोचक तथ्यः
1. जूपिटर हमारे सोलर सिस्टम की चौथी सबसे चमकदार वस्तु है. सिर्फ सूर्य, चंद्रमा और शुक्र ग्रह ही इससे ज्यादा चमकदार हैं.
2. यह बहुत ही ठंडा ग्रह है. इस पर एवरेज टेम्परेचर माइनस 145 डिग्री रहता है.
3. जूपिटर अपने धुरी पर 9 घंटे 55 मिनट में घूम जाता है. यानी कि जूपिटर पर एक दिन 10 घंटे से भी कम का होता है.
4. जूपिटर का मेगनेटिक फील्ड बहुत मजबूत होता है. यदि हम जूपिटर के सतह पर खड़े हो जाए तो हमारा वजन अपने असली वजन से 3 गुना ज्यादा होगा.
5. इस प्लैनेट में 4 बड़ी और 60 छोटी साइज के मून हैं. चार मून प्लूटो से भी बड़े हैं. इसका मून Ganymede सोलर सिस्टम का सबसे बड़ा मून है.
6. जूपिटर पर एक बड़ा रेड स्पॉट है. यह इतना बड़ा है कि इसमें तीन पृथ्वी समा सकती है. यह स्पॉट 350 सालों से है.
7. जूपिटर हमारी पृथ्वी से 11 गुना ज्यादा बड़ा है.
8. जूपिटर की विशाल वातावरण के नीचे हाइड्रोजन गैस, तरल मेटेलिक हाइड्रोजन, रॉक, मेटल की परतें हैं.
9. इसे सूर्य की परिक्रमा करने में 12 साल लग जाते हैं.
10. Pioneer 10 and 11, Voyager 1 and 2, Galileo, Cassini, Ulysses, and New Horizons missions जैसे स्पेसक्राफ्ट्स अभी तक जूपिटर पर जा चुके हैं.