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IPS राकेश अस्थाना, किया था चारा घोटाले का पर्दाफाश, अब इसलिए चर्चा में

सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का महानिदेशक नियुक्त किया गया है. IPS राकेश अस्थाना को चारा घोटाले के पर्दाफाश करने से लेकर गोधरा कांड जांच के लिए जाना जाता है. इसके अलावा वो विवादों के घेरे में भी रहे. आइए जानें उनके बारे में खास बातें.

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सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना
सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना

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आईपीएस राकेश अस्थाना ने कभी बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले में लालू यादव से छह घंटे पूछताछ करने वाले अफसर के रूप में पहचान पाई थी. तब उनकी उम्र महज 35 साल थी, हर कोई उनके जज्बे की तारीफ कर रहा था. उन्हें इस मामले में जांच की जिम्मेदारी दी गई थी. इसके बाद राकेश अस्थाना ने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ 1996 में चार्जशीट दायर की थी. इसी के बाद लालू यादव को गिरफ्तार किया गया था.

सिर्फ यही नहीं राकेश अस्थाना का नाम कई चर्च‍ित मामलों में जांच और पूछताछ के लिए जाना जाता है. इसके अलावा वो सीबीआई में रहते हुए सीबीआई की ओर से ही एक मामले में विवादों में भी रहे. बता दें कि गुजरात कॉडर के इस आईपीएस अधिकारी को अपने तत्कालीन सीनियर अधिकारी आलोक वर्मा के साथ लड़ाई के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो से बाहर ट्रांसफर कर दिया गया था. अब राकेश अस्थाना को फिर से एक नई जिम्मेदारी सौंपी गई है. उन्हें अब बीएसएफ का महानिदेशक (DG) नियुक्त किया गया है. आइए जानें आईपीएस अस्थाना से जुड़ी ये बातें.

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सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना BSF के महानिदेशक नियुक्त

राकेश अस्थाना का जन्म साल 1961 में रांची में हुआ था. इनकी प्रारंभिक शिक्षा झारखंड स्थित नेतरहाट स्कूल से हुई है. इनके पिता एचआर अस्थाना नेतरहाट स्कूल में भौतिकी के शिक्षक थे. इसके बाद रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से पढ़ाई की थी. 1978 में आईएससी करने के बाद आगरा स्थित अपने पैतृक घर चले गए.

फिर दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज में उन्होंने इतिहास पढ़ाना शुरू किया. 1984 में उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली और आईपीएस अधिकारी बन गए. उनको गुजरात कैडर मिला.

फिर इसके बाद वो धनबाद में सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के एसपी रहे. इसके बाद वो रांची में डीआईजी के पद पर भी रहे. राकेश अस्थाना का नाम कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार अधिकारियों की सूची में खास तौर से शामिल रहा है. 1994 में उन्होंने सनसनीखेज पुरुलिया आर्म्स ड्रॉप केस की फील्ड इंवेस्टिगेशन सुपरवाइज की थी.

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उन्हें बहुचर्चित चारा घोटाले की जांच की जिम्मेदारी भी मिली थी. IPS अस्थाना ने ही लालू प्रसाद यादव के खिलाफ 1996 में चार्जशीट दायर की थी. 1997 में उनके समय ही लालू पहली बार गिरफ्तार हुए. उस समय उनकी उम्र 35 वर्ष थी. वो तब सीबीआई में एसपी के तौर पर तैनात थे.

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अस्थाना को मूल रूप से लालू से पूछताछ के लिए ही जाना जाता है. 1997 को उन्होंने चारा घोटाले में लालू से 6 घंटे तक पूछताछ की थी. अस्थाना ने ही धनबाद में डीजीएमएस के महानिदेशक को घूस लेते पकड़ा था. उस समय तक पूरे देश में अपने तरीके का यह पहला मामला था, जब महानिदेशक स्तर के अधिकारी सीबीआई गिरफ्त में आये थे.

अस्थाना ने ही चर्चित गोधरा कांड की भी जांच की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आरके राघवन की अगुआई में गठित हुई एसआईटी ने भी सही माना था. अहमदाबाद में 26 जुलाई, 2008 को हुए बम ब्लास्ट की जांच का जिम्मा भी राकेश को ही दिया गया था. इसमें उनकी तारीफ इस बात पर हुई थी कि महज 22 दिनों में ही ये केस सुलझ गया था.

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इसके बाद साल 2014 में आसाराम बापू और उनके बेटे नारायण सांईं के मामले में भी अस्थाना ने जांच की थी. फरार चल रहे नारायण सांईं को हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर पर पकड़ा गया था. इसके बाद साल 2016 में अस्थाना को सीबीआई का एडिशनल डायरेक्टर बनाया गया. यहां उनके साथ एक विवाद जुड़ गया था. इसके तहत उन पर सीबीआई ने ही घूसखोरी का मामला दर्ज किया था हालांकि बाद में उन्हें इस मामले में कोर्ट से क्लीन चिट मिल गई थी.

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इस मामले में इसी साल 2020 मार्च में सीबीआई की विशेष अदालत ने जांच एजेंसी द्वारा जमा की गई रिपोर्ट स्वीकार कर ली थी. सीबीआई ने पूर्व स्पेशल डायरेक्टर को घूस और रंगदारी वाले केस में क्लीन चिट दिया था.

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