दिन में एक छात्र और रात में सेक्योरिटी गार्ड. झारखंड बोर्ड के 10वीं परीक्षा के टॉपर नीतीश माहोत की यही कहानी है.
झारखंड में रांची के रहने वाले नीतीश ने इस छोटी उम्र
में ही अपने पिता को खो दिया. पिता के जाने के बाद नीतीश
के कंधों पर ही उनकी मां और बहन की जिम्मेदारी है. नीतीश
के पिता का देहांत पिछले साल हुआ. तब नीतीश ने 10वीं में
कदम रखा ही था.
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नीतीश के पिता ने रांची के सबसे अच्छे स्कूलों में एक सेंट जोन्स स्कूल में नीतीश का दाखिला कराया था. नीतीश इंजीनियर बनना चाहते हैं और उनके पिता इस बात को जानते थे, इसलिए उसके सपने को पूरा करने के लिए उसे अच्छे स्कूल में दाखिला कराया.
लेकिन पिता की मौत के बाद नीतीश और उसके परिवार
के लिए घर चलाना मुश्किल होने लगा. पर उसने हालातों के
सामने घुटने नहीं टेके और ना ही स्कूल छोड़ने का फैसला
किया.
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नीतीश ने फैसला किया कि वो काम करेगा. अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ेगा. इसलिए उसने तय किया कि वो रात में काम करेगा और दिन में पढ़ाई. नीतीश ने मोरहाबड़ी इलाके में नाइट गार्ड का काम करना शुरू कर दिया.
नीतीश अपनी किताबें अपने साथ ही रखता और जब
भी मौका मिलता था पढ़ाई करने लगता.
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नीतीश को झारखंड बोर्ड की 10वीं परीक्षा में 87.60% अंक आए हैं. ऐसा तब हुआ है जब 10वीं बोर्ड में झारखंड के सिर्फ 57 प्रतिशत बच्चे ही पास हो पाएं हैं. पिछले 10 वर्षों में यह सबसे खराब रिजल्ट है. ऐसे में नीतीश का इतनी परेशानियों के बीच 87 फीसदी लाना और टॉपर बनना बड़ी बात है.
नीतीश के घर में खुशियों का माहौल है. HT में प्रकाशित रिपेार्ट के अनुसार नीतीश के लिए अब देशभर से मदद के लिए लोग आ रहे हैं.