कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि CSAT हटाने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया जाएगा. हालांकि उन्होंने हिंदी के छात्रों को आंशिक राहत देते हुए कहा कि मेरिट में अंग्रेजी के अंक नहीं जोड़े जाएंगे. सदन में जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2011 के छात्रों को एक और मौका मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी के अंक जोड़ने का कोई औचित्य ही नहीं है. ऐसा नहीं होना चाहिए.
हालांकि राज्य सभा में व्यालार रवि और डी राजा ने सवाल उठाया कि इस नए प्रावधान से तमिल, तेलुगू और अन्य भारतीय भाषा के छात्राओं के साथ भेदभाव हो सकता है. इस पर जितेंद्र सिंह ने जवाब दिया, 'अंग्रेजी का हिस्सा या 'कॉम्प्रीहेन्शन' हटाए जाने से परीक्षा भाषाई आधार पर न्यूट्रल हो गई है. भेदभाव का सवाल ही कहां है, मुझे समझ नहीं आता कि अब क्या कंफ्यूजन है.'
हालांकि ज्यादातर प्रदर्शनकारी छात्र सीसैट न हटाए जाने के फैसले से नाखुश हैं. उनका कहना है कि उनकी मांग सीसैट हटाने को लेकर थी, अंग्रेजी का 'कॉम्प्रीहेंशन' हटाने की नहीं. गौरतलब है कि रविवार को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस मुद्दे पर विचार के लिए गृह मंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी के अन्य नेताओं से अलग-अलग मुलाकात की थी.
सिंह ने चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए गुजरात भवन में शाह और वरिष्ठ पार्टी नेताओं जेपी नड्डा और राम माधव से मुलाकात की. सूत्रों के मुताबिक बाद में शाम को उन्होंने गृहमंत्री से भी मुलाकात की. सूत्रों ने बताया है कि सरकार वर्मा कमेटी रिपोर्ट का अध्ययन कर रही है. सिंह ने शनिवार को भी इस मुद्दे पर गृह मंत्री से मुलाकात की थी.
यूपीएससी पर सीसैट का मुद्दा जल्द ही हल कर लिया जाएगा. यह कहना है गृह मंत्री राजनाथ सिंह का. सूत्रों के मुताबिक नेपाल से लौटकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट से इस मुद्दे पर बात करेंगे जिसके बाद ही इस पर सरकार का फैसला सार्वजनिक होगा.
उधर, इस बाबत कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि सरकार ने छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है. उन्होंने वादों को तोड़ा है. छात्रों को ही क्षति नहीं होगी बल्कि सरकार की छवि भी खराब होगी. सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि सरकार का रवैया निंदनीय है. उन्होंने कहा कि हम छात्रों के साथ हैं सरकार नौकरशाहों के आगे झुक गई है.