जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के एडमिन ब्लॉक के पास मौजूद 'फ्रीडम स्क्वॉयर' नाम की जगह अब बदल गई है. पहले ये जगह जहां विरोध-प्रदर्शनों के लिए महत्वपूर्ण हुआ करती थी, वहीं अब जेएनयू एडमिनिस्ट्रेशन ने यहां लोहे की सलाखें लगा दी हैं.
लोहे की सलाखों के पीछे दीवारों पर चस्पे नारे, तस्वीरें और पोस्टर अब ऐसे दिखने लगे हैं जैसे किसी कैदखाने के भीतर हों. इसके पीछे वजह बताई गई है कि जेएनयू एडमिनिस्ट्रेशन के पास जगह की कमी है. हालांकि, छात्र संगठन फ्रीडम स्क्वॉयर के इस तरह घेरे जाने से से नाखुश हैं. लेफ्ट संगठनों का कहना है- 'छात्रों की आवाज दबाने की ये कोशिश है. जेएनयू वीसी हमारे सवालों से घबराते हैं. नजीब के मुद्दे पर प्रश्न पूछो तो पिछले दरवाजे से चुपचाप निकल जाते हैं. जिस फ्रीडम स्क्वायर पर प्रशासन ने तालाबंदी की है वह हमेशा से छात्र संगठनों की आवाज उठाता रहा है.'
पूर्व जेएनयूएसयू सेक्रेटरी रामा नागा ने कहा- 'कोई स्पेस की कमी नहीं है, बल्कि एडमिनिस्ट्रेशन के पास समझदारी का क्रंच है. वे समझते हैं कि ऐसा करके वे हमारे हौसले को तोड़ देंगे या हमसे विरोध करने का अधिकार छीन लेंगे तो ऐसा नहीं है. हम मंगलवार को एकजुट होकर यहीं फिर से विरोध प्रदर्शन करेंगे.'
एबीवीपी के छात्र नेता और पूर्व जेएनयूएसयू ज्वाइंट सेक्रेटरी सौरभ शर्मा का कहना है- 'प्रशासन ने यह फैसला क्यों लिया ये स्टूडेंट्स कम्युनिटी को नहीं बताया गया. लेकिन यह एक छोटी सी जगह थी जिसके उपयोग के लिए प्रशासन ने सोचा होगा.'
इससे पहले जेएनयू प्रशासन ने जेएनयू छात्र संगठन को नोटिस देकर गतिविधियों के लिए एडमिन ब्लॉक से दूर रहने की हिदायत दी थी. साथ ही कहा था नियम तो़ड़ने वाले छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.