भारत और कोरिया के बीच बढ़ती साझेदारी के बीच, बुसान विश्वविद्यालय में विदेश अध्ययन (BUFS) के हिंदी विभाग से कोरियाई छात्रों के एक ग्रुप ने हिन्दी और भारतीय संस्कृति के बारे में सीखने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का दौरा किया. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भाषा, साहित्य और संस्कृति अध्ययन केंद्र के कोरियाई अध्ययन विभाग (CKS) में हर साल कोरियाई छात्रों के लिए हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति पर बेसिक कोर्स आयोजित किया जाता है.
बुनियादी स्तर के पाठ्यक्रम का उद्देश्य कोरिया में कम हिंदी सीखे हुए छात्रों की हिंदी क्षमता को बढाने की जरूरतों को पूरा करना है. यह पाठ्यक्रम छात्रों को आत्मविश्वास से हिंदी बोलने और प्रभावी ढंग से संवाद करने में मदद करता है. छात्रों को हिन्दी की मूल ध्वनि प्रणाली ( बेसिक साउंड सिस्टम), वाक्यात्मक संरचना (सिंटैक्टिक स्ट्रक्चर) और हिंदी शब्दावली के साथ परिचय कराया जाता है. उन्हें ऑडियो-विजुअल माध्यम से भारतीय संस्कृति के बारे में सिखाया जाता है. उन्हें बोलचाल की हिंदी भी सीखने का मौका मिलता है.
इस कार्यक्रम का उद्देश्य कोरियाई छात्रों की कम्युनिकेशन स्किल को बढाना है. ज्यादातर विद्यार्थी प्रारंभिक स्तर के होते हैं और छोटी अवधि के लिए आते हैं, इसलिए शिक्षा का माध्यम हिंदी और कोरियाई दोनों भाषा होती है. उन्हें हिंदी की रीडिंग एबिलिटी (पढ़ने की क्षमता), ऑडियो-विजुअल, ओरल एक्सप्रेशन (मौखिक अभिव्यक्ति), भारतीय संस्कृति और समाज और हिन्दी और रचना के मूल ढांचे को पढ़ाया जाता है. इस में शामिल शिक्षक भाषा के विशेषज्ञ होते हैं, जिन्हें हिंदी पढ़ाने का व्यापक अनुभव है. कोर्स के दौरान छात्र एक प्रशिक्षित योग शिक्षक द्वारा योग भी सीखते हैं. छात्रों को नए तरीकों से हिन्दी भाषा और भारतीय संस्कृति का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है. कोर्स बोरिंग न हो इसलिए कोर्स को दिलचस्प बनाने पर ध्यान दिया जाता है.
जेएनयू में गुरुवार को आयोजित समापन समारोह के दौरान छात्रों ने हिंदी गीत गाए और हिंदी कविताएं सुनाईं. उन्होंने कहा कि वे भारत की सांस्कृतिक विविधता को देख कर खुश है और वे भारतीय भोजन के शौकीन हैं. वे कोरिया वापस जाने से पहले अधिक से अधिक हिंदी फिल्मों को देखने को उत्सुक थे. भाषा, साहित्य और संस्कृति अध्ययन स्कूल की डीन प्रो. वैश्ना नारंग ने छात्रों का स्वागत किया और अधिक से अधिक इस तरह के कार्यक्रमों से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया.
कार्यक्रम के निदेशक डॉ. रविकेश ने कहा, 'हम इस तरह के मेधावी छात्रों से मिलकर और उनके साथ भारतीय संस्कृति और मूल्यों की चर्चा कर खुशी होती है. उन्हें कक्षा और कक्षा के बाहर भारतीय संस्कृति को देखने और समझने का अवसर मिलता है. हिंदी और कोरियाई भाषा में काफी समानताएं हैं. इसलिए यहां के शिक्षक जटिल शब्दों को कोरीयाई भाषा में समझाने की कोशिश करते हैं जो काफी लाभदायक साबित हो रहा है. योग कक्षा उनके बीच लोकप्रिय गतिविधियों में से एक है. वे कोरिया में भारत के एक सच्चे सांस्कृतिक राजदूत हैं.'
इस प्रोग्राम की सफलता के बाद, BUFS भी एक सेमेस्टर के लिए कोरिया में अध्ययन और वहां के अनुभव प्राप्त करने के लिए हमारे 5 छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान करने का फैसला किया है. इस अवसर पर केंद्र अध्यक्षा प्रो. वैजयंती राघवन ने समापन करते हुए कहा कि 'इस तरह के कार्यक्रम हमारे छात्रों के लिए, कोरियाई छात्रों के साथ बातचीत और उनके कोरियाई कौशल में सुधार करने का अवसर भी प्रदान करता हैं.'