जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में प्रेजिडेंट पद के
उम्मीदवारों ने 9 सितंबर को प्रेजिडेंशियल डिबेट में हिस्सा लिया. 11
सितंबर को होने वाले इस चुनाव के लिए हुई बहस में हॉस्टल के मुद्दे हावी
रहे.
हालांकि डिबेट में कैंपस के अन्य मुद्दों के साथ-साथ विश्व के कई प्रमुख मुद्दे भी उठे. कैंपस में पिछले साल विजयी रही ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) से इस बार विजय कुमार, जो हिंदी से पीएचडी कर रहे हैं, प्रेजिडेंट पद के उम्मीदवार हैं. विजय ने अपनी स्पीच में एक तरफ पिछले साल आइसा की ओर से किए गए कामों को गिनाया. वहीं, दूसरी तरफ उन्होंने दूसरी वामपंथी स्टूडेंट्स विंग और एबीवीपी की राजनीति पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने अपने स्पीच में बिहार चुनाव का जिक्र भी किया.
इसके अलावा बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (BAPSA) के चिन्मय ने हिंदू धर्म के ब्राह्मणवाद पर चोट करते हुए कहा कि देश में कोई भी पार्टी दलितों के हित की बात नहीं कर रही है. यहां तक कि लेफ्ट पार्टियों में भी बड़े पदों पर तथाकथित उच्च जाति के लोग ही विराजमान हैं.
डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF) के प्रेजिडेंट पद के उम्मीदवार के. फयाज अहमद ने देश में बढ़ रही सांप्रदायिक ताकतों को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि एबीवीपी कैंपस में गांधी का नाम लेकर हिटलर की पॉलिटिक्स कर रही है. आइसा के बारे में उनका कहना था कि इसके एजेंडे हर बार एक ही होते हैं. उन्होंने अपने स्पीच में यह भी कहा कि देश की तमाम बड़ी लेफ्ट पार्टियों ने लेफ्ट की विचारधारा को खराब कर रखा है.
स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के प्रेजिडेंट पद के उम्मीदवार पारितोष नाथ यहां कैंपस में रीजनल डेवलपमेंट में पीएचडी स्टूडेंट हैं. इनका कहना था कि मौजूदा समय में सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में फंड काटा जाना भयावह है. वहीं, इन्होंने हॉस्टल के मुद्दे पर मौजूदा छात्र संघ आइसा के बारे में कहा कि इनसे कभी भी हॉस्टल नहीं बन पाएगा.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के गौरव कुमार झा, स्कूल ऑफ इंटरनैशनल स्टडीज में पीएचडी स्टूडेंट हैं. उन्होंने कहा कि देश में नया सूरज उग चुका है और उसका रंग भगवा है. आइसा को घेरते हुए उन्होंने कहा कि यह हर साल स्टूडेंट्स से झूठे वादे करती है. एबवीपी अगर जीत के साथ कैंपस में आती है तो वह प्लेसमेंट सेल बनवाएगी ताकि यहां के स्टूडेंट्स को रोजगार मिल सके. कैंपस में लेफ्ट की ताकत के बारे में उनका कहना था कि इनकी राजनीति विरोध प्रदर्शन तक ही पूरे देश में सीमित हो गई है.
वहीं, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF) के कन्हैया ने अपनी स्पीच में देश में बढ़ रहे सांप्रदायिक माहौल के लिए आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया. उनका कहना था कि लोगों को पता है कि धर्म उनकी रक्षा करता है, लेकिन आरएसएस ने धर्म की रक्षा के लिए ठेकेदारी ली हुई है. वहीं, राम मंदिर के मुद्दे पर भी उन्होंने भाजपा को कोसते हुए कहा कि लोगों को कण-कण में राम दिखते हैं लेकिन इन्हें सिर्फ बाबरी मस्जिद में ही राम नजर आते हैं. लेफ्ट की दूसरी स्टूडेंट्स विंग के बारे में उनका कहना था कि बिहार में लेफ्ट साथ चुनाव लड़ रही है लेकिन इस कैंपस में सभी अलग है.
प्रेजिडेंशियल डिबेट के दौरान शंख की गूंज और डफली की धमक होती रही. पूरे डिबेट के दौरान लाल सलाम और वंदे-मातरम के नारे देर रात तक कैंपस में गूंजती रही. डिबेट के बाद सवाल-जवाब का भी सेशन चला. जिसमें सभी स्टूडेंट्स विंग ने एक-दूसरे से सवाल पूछे.