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JNU में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा से छेड़छाड़, छात्रसंघ ने बताया साजिश

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में फीस वृद्धि व नये हॉस्टल नियमों के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के बाद गुरुवार को नये विवाद ने जन्म ले लिया है. ये नया मामला स्वामी विवेकानंद की मूर्ति के साथ छेड़छाड़ का है.

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11 नवंबर को जेएनयू में प्रदर्शन की तस्वीर,  Image Credit: ANI
11 नवंबर को जेएनयू में प्रदर्शन की तस्वीर, Image Credit: ANI

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जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में फीस वृद्धि व नये हॉस्टल नियमों के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के बाद गुरुवार को नये विवाद ने जन्म ले लिया है. ये नया मामला स्वामी विवेकानंद की मूर्ति के साथ छेड़छाड़ का है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने आरोप लगाया है कि जेएनयू में गैर-अनावरित विवेकानंद की मूर्ति को क्षतिग्रस्त करने का प्रयास किया गया है.

बता दें कि इस मूर्ति के आसपास बीजेपी को लेकर कई स्लोगन लिखे थे, हालांकि प्रशासन ने इसे साफ करा दिया है. एबीवीपी ने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना लेफ्ट छात्र संगठनों का मानसिक दिवालियापन दिखाता है.

ABVP जेएनयू में इकाई अध्यक्ष दुर्गेश कुमार ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने पहले ही इस ओर इशारा किया था कि आईसा, एसएफआई, डीएसएफ, एआईएसएफ जैसे वामपंथी छात्र संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता जेएनयू आंदोलन की आड़ में अपने तुच्छ राजनीतिक हितों को अनावश्यक तूल दे रहे हैं, जिसका विश्वविद्यालय से मतलब नहीं है.

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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश मंत्री सिद्धार्थ यादव ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने आधुनिक भारत को दिशा दिखाने में बेहद महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उन्हें किसी वैचारिक खांचे में बैठाकर नहीं देखा जा सकता. लेकिन जिस प्रकार से लेफ्ट के लोगों ने उनके स्टैच्यू को क्षतिग्रस्त करने का प्रयास किया, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.

ऐसे अभारतीय विचारों को हम भारत के सभी कैंपसों में से खत्म कर देने तक लड़ेंगे. हम प्रशासन से मांग करते हैं कि जो स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त करने के प्रयास में संलिप्त हों, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.

अभाविप जेएनयू के इकाई अध्यक्ष दुर्गेश कुमार और सचिव मनीष जांगिड़ ने संयुक्त बयान में कहा कि जेएनयू का आम छात्र जब अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत है, तब ठीक उसी समय लेफ्ट अपने फ्लाप हो चुके एजेंडे को जीवित करने का असफल प्रयास कर रहा है. जिस प्रकार से पूरे विश्वविद्यालय को गंदा किया गया और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया क्या वह सही है? क्या विश्वविद्यालय की सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित करना हम सभी छात्रों का दायित्व नहीं है? यह कृत्य आंदोलन को गलत दिशा में ले जाने वाला है, जो कि हम सफल नहीं होने देंगे. हमारी लड़ाई हॉस्टल मैनुअल वापस कराने की है, इसकी आड़ में लेफ्ट के अपने अतिवादी विचारों को थोपना का प्रयास आम छात्र कभी सफल नहीं होने देगा.

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एबीवीपी कर रही आंदोलन का गलत इस्तेमाल, साजिश है ये: जेएनयू छात्रसंघ

जेएनयू छात्र संघ ने इस बारे में अपना बयान जारी करते हुए कहा है कि शुल्क वृद्धि के खिलाफ हमारा आंदोलन बिना स्टूडेंट की परामर्श के एक हॉस्टल मैनुअल का मसौदा प्रशासनिक कामकाज के अधिनायकवादी तरीकों के खिलाफ एक लोकतांत्रिक आंदोलन है. फीस वृद्धि के कारण अपने भविष्य को दांव पर लगाने वाले छात्र कभी किसी हिंसा या अलोकतांत्रिक कार्रवाई के अपराधी नहीं हो सकते. हम जेएनयू छात्र आंदोलन की आड़ में ऐसी गलत कोशिशों की निंदा करते हैं. जेएनयू छात्र समुदाय अपने नाम पर किए गए किसी गलत कृत्य का समर्थन नहीं करता है. ऐसा जो भी करता है वह अपने नाम से कर रहा है और इस तरह के कृत्यों को सही ठहराने के लिए आंदोलन के नाम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

इस तरह का कृत्य विश्वविद्यालय को बदनाम करने की साजिश है. ये दक्षिणपंथी सोच वाले लोगों का काम है. वीसी, सत्तारूढ़ शासन और कैंपस में मौजूद एबीवीपी के लोग फीस वृद्धि के मुद्दे को व्यर्थ और ध्रुवीकरण वाली बहस में मोड़ना चाहते हैं. फीस वृद्धि का तथाकथित रोल बैक एक कल्पना है. जो सर्विस और यूटिलिटी चार्जेज पहले जीरो थे वो भी अब जोड़ दिए गए हैं. बीपीएल छात्रों को राहत देने की नौटंकी भी झूठ है क्योंकि वे फीस वृद्धि का उपयोग करने जा रहे हैं.

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जेएनयूएसयू ने कहा कि इस प्रकार हमें वास्तविक मुद्दों से हटाने का प्रयास सफल नहीं होगा. जेएनयूएसयू छात्र समुदाय से संयम बरतने और इस तरह की लापरवाही को प्रोत्साहित न करने की अपील करता है.

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