जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ का चुनाव परिणाम घोषित कर दिया गया है. यूनाइटेड लेफ्ट पैनल की आइशी घोष (एसएफआई) नई जेएनयूएसयू प्रेजिडेंट चुनी गई हैं. लेफ्ट यूनिटी सभी चार पदों पर जीत हासिल करने में कामयाब रहा है. आइशी घोष अध्यक्ष, साकेत मून उपाध्यक्ष, महासचिव पद पर सतीश चंद्र यादव जबकि मोहम्मद दानिश संयुक्त सचिव चुने गए हैं.
अध्यक्ष
आइशी घोष (लेफ्ट) - 2313
जितेंद्र सुना (बाप्सा) - 1121
मनीष जागिड़ (एबीवीपी) - 1128
प्रशांत कुमार (एनएसयूआई) - 771
प्रियंका भारती (सीआरजेडी )-156
राघवेंद्र मिश्रा (निर्दलीय)- 53
नोटा- 115
ब्लैंक- 26
अमान्य - 45
उपाध्यक्ष
ऋषिराज यादव (CRJD) - 285
साकेत मून (लेफ्ट यूनिटी) - 3365
श्रुति अग्निहोत्री (एबीवीपी) - 1335
नोटा- 558
ब्लैंक - 172
अमान्य -13
महासचिव
सबरीश पीए (एबीवीपी) - 1355
सतीश यादव (बाएं) - 2518
वसीम आरएस (बाप्सा) - 1232
नोटा - 520
रिक्त - 91
अमान्य - 12
संयुक्त सचिव
मोहम्मद दानिश (लेफ्ट) - 3295
सुमंत साहू (एबीवीपी) - 1508
नोटा - 734
ब्लैंक- 182
अमान्य - 9
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान परिणाम घोषित करने की इजाजत दे दी थी. हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई में परिणाम न जारी करने का आदेश जेएनयू के दो छात्रों की ओर से दाखिल याचिका पर दिया था. याचिका में आरोप लगाया गया था कि चुनाव समिति ने लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों की अनदेखी करके छात्रसंघ का चुनाव कराया है.
Left Unity wins all the 4 posts-President,Vice President, Secy&Joint Secy in JNU students' union(JNUSU)elections. Delhi HC had today allowed JNU election committee to declare its results. It had earlier put stay on declaration of results&restrained JNU admn from notifying results pic.twitter.com/5bTIaAirvd
— ANI (@ANI) September 17, 2019
अंशुमान दुबे और अनुज कुमार द्विवेदी ने याचिका में जेएनयूएसयू का चुनाव लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों के तहत कराने की मांग की थी. इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने जेएनयू प्रशासन इलेक्शन कमेटी और मामले से जुड़े सभी पक्षों को इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए निर्देश दिए थे.
Revolutionary Victory for the United Left Unity in JNUSU Election 2019-20.#JNUSUresults #JNUSUelections2019 pic.twitter.com/6C3kYe4j4R
— JNU Voice (@jnu_voice) September 8, 2019
लेकिन कोर्ट ने सोमवार को जेएनयू प्रशासन के जवाब के बाद याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया. क्योंकि जेएनयू ने कहा कि उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए या तो अनुपयुक्त पाया गया या फिर पीछे उनके खिलाफ की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई को उन्होंने छिपाया.
हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि आपकी जानकारी के बाद हमने चुनाव नतीजों पर रोक लगाई थी. लेकिन, आपकी जानकारी सही नहीं थी. जेएनयू ने कहा कि GRC (ग्रीवांस रिड्रेसल सेल) ने पिछला चुनाव 30 काउंसलर के साथ कराया था. जबकि इस बार बार 46 काउंसलर के साथ कराया है. याचिकाकर्ता का ये कहना कि 55 काउंसलर के साथ ही पिछले चुनाव होते आए हैं, पूरी तरह से ग़लत है.
शुक्रवार को दो छात्रों की याचिका पर हाई कोर्ट ने रिजल्ट के ऐलान पर 17 सितंबर तक रोक लगा दी थी. इस पर देर रात सभी यूनियंस के साथ मीटिंग कर जेएनयू इलेक्शन कमिटी ने तय किया कि वे रुझानों के साथ रिजल्ट जारी करेंगे, मगर फाइनल रिजल्ट का ऐलान नहीं करेंगे. हालांकि, स्टूडेंट्स का कहना है कि प्रशासन की ओर से काउंटिंग रुकवाने की कोशिश भी की गई, मगर प्रशासन सफल नहीं हो पाया. छात्रों का कहना था कि हाई कोर्ट ने काउंटिंग पर रोक नहीं लगाई है.