पत्रकारिता की दुनिया में जोसेफ पुलित्जर का नाम बहुत आदर के साथ लिया जाता है. इनका जन्म 10 अप्रैल 1847 को हंगरी में हुआ था. पुलित्जर जीवनभर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते रहे.
जब वह हंगरी से अमेरिका 1864 में आए तो उनके पास न तो पैसे थे, न जान-पहचान और सबसे बड़ी बात उन्हें अंग्रेजी बोलनी तक नहीं आती थी. उन्हें एक समय वेटर तक
की नौकरी करनी पड़ी थी.
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दरअसल, पुलित्जर 11 साल के थे, तभी उनके पिता का देहांत हो गया और उनकी मां ने एक बिजनेस मैन से शादी कर ली.
हालांकि जोसेफ की देखरेख या पढ़ाई में कोई कमी नहीं थी, उन्हें बुडापेस्ट के प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया जा रहा था. लेकिन पुलित्जर खुद के पैसे कमाना चाहते थे. इसलिए वो 17 साल की उम्र में हंगरी से अमेरिका गए ताकि गृह युद्ध में बतौर सिपाही हिस्सा लेकर जीविका कमा सकें. लेकिन शायद तकदीर को ये मंजूर नहीं था. उन्हें सिपाही नहीं मशहूर पत्रकार जो बनना था.
पुलित्जर की हंगरी, फ्रेंच और जर्मन भाषा पर अच्छी पकड़ थी और अमेरिका में जब वो पहुंचे तो कुल मिलाकर उनके पास बस यही संपत्ति थी.
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पुलित्जर को जर्मन भाषा जानने का लाभ मिला और उन्हें अमेरिका के सेंट लुइस में जर्मन भाषा के एक अखबार में नौकरी मिल गई. एक साल के अंदर वह रिपोर्टर से मैनेजिंग एडिटर बन गए. इसी बीच साल 1860 में जोसेफ पुलित्जर ने लॉ की पढ़ाई पूरी की और साल 1869 में मिसौरी विधानसभा के लिए चुने गए.
साल 1879 में उन्होंने सेंट लुइस में दो अखबारों का अधिग्रहण किया और दोनों को मिलाकर एक सेंट लुइस पोस्ट डिस्पैच शुरू किया, जो आज भी मौजूद है. उसके 5 साल
बाद न्यूयॉर्क वर्ल्ड अखबार की शुरुआत की. ये दोनों अखबार बेहतरीन पत्रकारिता के उदाहरण माने गए थे.
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29 अक्टूबर 1911 में इनकी मृत्यु हो गई. पुलित्जर अमेरिका के धनी लोगों में से एक थे. उन्होंने अपने कमाई में से एक मिलियन डॉलर कोलंबिया यूनिवर्सिटी को जर्नलिज्म स्कूल के लिए दे दिया था.
साल 1917 से यूनिवर्सिटी ने पुलित्जर पुरस्कार देने शुरू किए.
जोसेफ पुलित्जर ने साल 1877 में केट डेविस से शादी की और 7 बच्चों को जन्म दिया. साल 1911 में जोसेफ की मृत्यु हो गई.
जानिए जोसेफ पुलित्जर के कुछ महत्वपूर्ण विचारों के बारे में:
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1. हमारा गणतंत्र और प्रेस एक साथ उठते और गिरते हैं.
2. किसी भी गणतंत्र के भविष्य को बेहतर बनाने का काम भविष्य के पत्रकारों के हाथ में होता है.
3. मेरा मुख्य काम गरीबों की मदद करना है. अमीर खुद अपनी मदद कर सकता है. मैं ऐसे लोगों में विश्वास करता हूं जो खुद ही अपना भविष्य बनाते हैं.
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4. पब्लिसिटी, पब्लिसिटी, पब्लिसिटी...सार्वजनिक जीवन में इससे बड़ा नैतिक मूल्य और ताकत, कोई दूसरी नहीं है.