साहित्य अकादमी में अपने पदों से इस्तीफा देने वालों के समूह में शामिल होते हुए कन्नड़ लेखक एवं शोधार्थी डॉ अरविंद मलगत्ती ने भी आज आम परिषद से इस्तीफा दे दिया.
उन्होंने प्रगतिशील विचारक और विद्वान एमएम कालबुर्गी की हत्या पर अकादमी की चुप्पी को लेकर उसकी निंदा की है. मलगत्ती ने बताया, हां, मैंने आम परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है और आज सुबह अकादमी के अध्यक्ष एवं सचिव को एक पत्र भेज दिया.
उन्होंने बताया, मैंने कलबुर्गी की हत्या की निंदा करते हुए इस मुद्दे पर अकादमी की चुप्पी को लेकर इस्तीफा दिया है. उन्हें बोलना चाहिए था और ऐसे कार्यों के खिलाफ अपनी निंदा जाहिर करनी चाहिए थी.
उल्लेखनीय है कि कलबुर्गी की दो अज्ञात लोगों ने 30 अगस्त को उत्तर कर्नाटक के धारवाड़ स्थित उनके आवास पर गोली मार कर हत्या कर दी थी.
मलगत्ती ने कहा, कलबुर्गी, (गोविंद) पनसारे जैसी शख्सियतों की हत्या और दादरी मेंकी गई हत्या जैसी घटनाएं देश में संवैधानिक अधिकारों पर हमला है.
मलगत्ती साहित्य अकादमी की आम परिषद में विभिन्न विश्वविद्यालयों के 20 प्रतिनिधियों में शामिल हैं. मलगत्ती ने कन्नड़ साहित्य जैसे कि कविता, गद्य, लेख, आलोचना और लोकसाहित्य अध्ययन जैसे क्षेत्रों में काम किया है. कर्नाटक सरकार ने उन्हें उनके लेखन को लेकर अंबेडकर फेलोशिप अवार्ड से सम्मानित किया है. उनकी गवर्नमेंट ब्राह्मण कन्नड़ में प्रथम दलित आत्मकथा है जिसे कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है. हाल ही में अकादमी से इस्तीफा देने वालों में शशि देशपांडे, के. सतचिदानंदन, पीके पराक्कडावु जैसी साहित्यिक शख्सियत शामिल हैं। उन्होंने भी इस तरह के कारणों का जिक्र करते हुए अपने पदों से इस्तीफा दिया था. नयनतारा सहगल, अशोक वाजपेयी और सारा जोसफ ने अपने- अपने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिए हैं.
राज्य स्तर पर छह कन्नड़ लेखकों ने इस महीने की शुरुआत में अपने पुरस्कार कन्नड़ साहित्य परिषद को लौटा दिए हैं. लगातार लेखकों के बढ़ते विरोध के बीच साहित्य अकादमी ने कहा है कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में है और कहीं भी किसी भी लेखक या कलाकार पर हमले की निंदा करता है.
इनपुट: भाषा