scorecardresearch
 

नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार कल्पेश याग्निक, ऑफिस में दिल का दौरा पड़ने से निधन

21 जून 1963 को जन्मे कल्पेश 1998 से दैनिक भास्कर समूह से जुड़े थे. इससे पहले कुछ समय तक फ्री प्रेस जर्नल से जुड़े रहे. उनका इस तरह अचनाक जाना भास्कर समूह के लिए बड़ी क्षति मानी जा रही है.

Advertisement
X
कल्पेश याग्निक (साभार: दैनिक भास्कर)
कल्पेश याग्निक (साभार: दैनिक भास्कर)

Advertisement

दैनिक भास्कर के समूह संपादक कल्पेश याग्निक नहीं रहे. गुरुवार रात करीब साढ़े 10 बजे इंदौर स्थित दफ्तर में काम करने के दौरान ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा. इसके बाद उन्हें बचाने की कोशिशें विफल रहीं.

दिल का दौरा पड़ते ही दफ्तर के कर्मचारी उन्हें तुरंत बॉम्बे अस्पताल ले गए. करीब साढ़े तीन घंटे तक उनका इलाज भी चला, लेकिन डॉक्टरों के तमाम प्रयासों के बाद भी उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ.

डॉक्टरों ने बताया है कि इलाज के दौरान ही उन्हें दिल का दूसरा दौरा पड़ा. रात करीब 2 बजे डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. उनकी अंतिम यात्रा शुक्रवार सुबह 11 बजे इंदौर में साकेत नगर स्थित उनके निवास से तिलक नगर मुक्तिधाम जाएगी.  

21 जून 1963 को जन्मे कल्पेश 1998 से दैनिक भास्कर समूह से जुड़े थे. इससे पहले कुछ समय तक वह फ्री प्रेस जर्नल से भी जुड़े रहे. उनका इस तरह अचनाक जाना भास्कर समूह के लिए बड़ी क्षति मानी जा रही है.

Advertisement

55 वर्षीय याग्निक प्रखर वक्ता और विख्यात पत्रकार थे. वह पैनी लेखनी के लिए जाने जाते थे. देश और समाज में चल रहे संवेदनशील मुद्दों पर बेबाक और निष्पक्ष लिखते थे. दैनिक भास्कर के शनिवार के अंक में उनका कॉलम ‘असंभव के विरुद्ध’ देशभर में चर्चित रहता था.

Advertisement
Advertisement