महात्मा गांधी की पत्नी होने के अलावा कस्तूरबा गांधी की अपनी पहचान भी थी. वो एक समाज सेविका थीं. 13 साल की उम्र में ही कस्तूरबा की शादी महात्मा गांधी से करा दी गई. पर उनके गंभीर और स्थिर स्वभाव के चलते उन्हें सभी 'बा' कहकर पुकारने लगे.
गरीब और पिछड़े वर्ग के लिए गांधी ने काम किया ये तो हम सब जानते हैं. पर क्या आप ये जानते हैं कि दक्षिण अफ्रीका में अमानवीय हालात में भारतीयों को काम कराने के विरुद्ध आवाज उठाने वाली कस्तूरबा ही थीं. सर्वप्रथम कस्तूरबा ने ही इस बात को प्रकाश में रखा और उनके लिए लड़ते हुए कस्तूरबा को तीन महीने के लिए जेल भी जाना पड़ा.
बुक रिव्यू: कस्तूरबा गांधी के संघर्ष की कहानी 'बा'
जिस महात्मा गांधी से अंग्रेज डरते थे, वो खुद कस्तूरबा गांधी से ऊंची आवाज में बात नहीं कर सकता था. कस्तूरबा कड़क स्वभाव की थीं और अनुशासन बहुत प्रिय था उन्हें.
साल 1922 में स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते हुए महात्मा गांधी जब जेल चले गए तब स्वाधीनता संग्राम में महिलाओं को शामिल करने और उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए कस्तूरबा ने आंदोलन चलाया और उसमें कामयाब भी रहीं.
1915 में कस्तूरबा जब महात्मा गांधी के साथ भारत लौंटी तो साबमती आश्रम में लोगों की मदद करने लगीं. आश्रम में सभी उन्हें 'बा' कहकर बुलाने लगे. दरअसल, 'बा' मां को कहते हैं.
कस्तूरबा ने जब पहली बार साल 1888 में बेटे को जन्म दिया तब महात्मा गांधी देश में नहीं थे. वो इंग्लैंड में पढ़ाई कर रहे थे. कस्तूरबा ने अकेले ही अपने बेटे हीरालाल को पालपोस कर बड़ा किया.