scorecardresearch
 

कठुआ केस को हिंदू-मुस्लिम चश्मे से देखने से पहले जान लें ये फैक्ट

जहां कठुआ गैंगरेप मामले ने हिंदू-मुस्लिम रंग ले लिया है वहां इस समुदाय के पीछे ये कहानी है.

Advertisement
X
कठुआ मामले पर गुस्सा
कठुआ मामले पर गुस्सा

Advertisement

जम्मू के कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ गैंगरेप और हत्या के मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया है. घटना का पता चलने के बाद इसे हिंदू-मुस्लिम रंग देने की कोशिशें हो रही हैं. पूरे मामले को भारत समर्थक और भारत विरोधी ठहराने की साजिश हो रही है. बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि मासूम जिस समुदाय से आती है वो हमेशा से ही भारत का समर्थक रहा है. इतिहास में आज भी भारत के सहयोग की कहानी दर्ज है. आज भी उस समुदाय की सेवा के बदले उनके भोलेपन के किस्से सामने आ जाते हैं.

किस समुदाय की बेटी?

बर्बरियत का शिकार हुई बच्ची गुज्जर बकरवाल समुदाय की बेटी थी. ये समुदाय जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों की एक घूमंतू जाति है जो आमतौर पर चरवाहे के तौर पर जानी जाती है. ये समुदाय हमेशा भारत की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण काम करता रहा. पाकिस्तान की साजिशों और उन हरकतों की जानकारी देता रहा जो घाटी में सुरक्षा के लिहाज से बहुत जरूरी रही हैं. इसी समुदाय के एक शख्स की बहुत दिलचस्प कहानी है. ये कहानी 1965 की है. उस वक्त भारत पाकिस्तान के रिश्ते बहुत तनावपूर्ण थे. लेखक-पत्रकार राहुल पंडिता ने कुछ ट्वीट कर इस समुदाय के इतिहास और देश के लिए योगदान का जिक्र किया है.

Advertisement

Inside story: क्या जमीन विवाद के कारण हुआ कठुआ गैंगरेप?

उन्होंने बताया कि गुज्जर-बकरवाल समुदाय हमेशा से जम्मू कश्मीर में भारत समर्थक रही है. इन्होंने कई जरूरी मौकों पर भारतीय सेना की मदद की है. मोहम्मद दीन जागीर नाम के एक शख्स का जिक्र करते हुए बताया कि 1965 में जागीर ने पाकिस्तान की एक बड़ी गुप्त साजिश को खत्म करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

उन्होंने बताया कि गुज्जर-बकरवाल समुदाय हमेशा से जम्मू कश्मीर में भारत समर्थक रही है. इन्होंने कई जरूरी मौकों पर भारतीय सेना की मदद की है. मोहम्मद दीन जागीर नाम के एक शख्स का जिक्र करते हुए बताया कि 1965 में जागीर ने पाकिस्तान की एक बड़ी गुप्त साजिश को खत्म करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

हिंदू-मुस्लिम रंग लेने के बाद कठुआ गैंगरेप की जांच करेंगे सिख अफसर

1965 में कश्‍मीर घाटी में तंगमार्ग क्षेत्र के निकट इलाके का एक गुज्जर- बकरवाल मोहम्मद दिन जागीर पहला व्यक्ति था, जिसने भारतीय अफसरों को पाकिस्तानी घुसपैठियों की उपस्थिति की जानकारी दी थी. सेना के लिए ये महत्वपूर्ण जानकारी थी.

दरअसल, ये पाकिस्तानी घुसपैठी थे जो एक सीक्रेट मिशन के सिलसिले में कश्मीर पर हमला करने आए थे. लेकिन मोहम्मद दीन ने पाकिस्तानी हलचल को भांपकर भारतीय सेना को तुरंत खबरदार किया. इसके बाद पाकिस्तानी घुसपैठियों का मिशन फेल हो गया. मोहम्मद दीन जागीर के इस काम के लिए उन्हें सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया. उन्हें वैज्ञानिक सतीश धवन, आर्टिस्ट एमएफ हुसैन के साथ पद्मश्री दिया गया.

Advertisement

ये समुदाय किस तरह से भोलाभाला है राहुल पंडित ने इसे एक उदाहरण के जरिए बताया. उन्होंने बाताया, खुद इंदिरा गांधी ने मोहम्मद दीन की देश की सेवाओं के बदले पूछा था कि वह उनके लिए क्या कर सकती हैं? इस पर उन्होंने दो चीजों की मांग की थी. पहला - फिलिप्स ट्रांजिस्टर. और दूसरा - उस लड़की से शादी करने की इच्छा जिसके पिता राजी नहीं हो रहे थे. बता दें कि साल 1990 में पाकिस्तानी आतंकियों ने मोहम्मद दीन जगीर की हत्या कर दी थी. ये समुदाय घाटी में अपने जानवर लिए घूमता है. भारतीय सेना के लिए गुप्तचर और संदेशवाहक की भूमिका भी निभाता रहा है.

Advertisement
Advertisement