देश के जाने-माने लेखक,कवि और स्तंभकार खुशवंत सिंह का निधन साल 2014 में 20 मार्च को हुआ था. भले ही खुशवंत सिंह आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी रचनाएं आज भी जिंदा हैं. ट्रेन टू पाकिस्तान और कंपनी ऑफ वूमन जैसी बेस्टसेलर किताब देने वाले सिंह ने 80 किताबें लिखीं. अपने कॉलम और किताबों में संता-बंता के चरित्र से लोगों को गुदगुदाया भी. उन्हें आज भी ऐसे शख़्स के तौर पर पहचाना जाता है, जो लोगों को चेहरे पर मुस्कान ला दें.
जानते है उनकी जिंदगी से जुड़ी खास बातें...
1. खुशवंत सिंह का जन्म 2 फरवरी 1915 को हदाली, पंजाब में एक सिख परिवार में हुआ था.
2. उन्होंने गर्वमेंट कॉलेज, लाहौर और 'कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी' लंदन में शिक्षा प्राप्त करने के बाद लंदन से ही कानून की डिग्री ली.
3. उन्होंने करियर की शुरूआत बतौर पत्रकार की. 1951 में वे आकाशवाणी से जुड़े थे और 1951 से 1953 तक भारत सरकार के पत्र 'योजना' का संपादन किया.
'तुम मत आओ, मैं संभाल लूंगा' बोलकर कह गए अलविदा
4. 1980 तक मुंबई से प्रकाशित प्रसिद्ध अंग्रेजी साप्ताहिक 'इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया' और 'न्यू डेल्ही' के संपादक रहे.
5. 1983 तक दिल्ली के प्रमुख अंग्रेज़ी दैनिक 'हिन्दुस्तान टाइम्स' के संपादक भी वही थे। तभी से वे प्रति सप्ताह एक लोकप्रिय 'कॉलम' लिखते हैं, जो अनेक भाषाओं के दैनिक पत्रों में प्रकाशित होता है.
6. 1974 में उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, लेकिन जब केंद्र सरकार ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर ब्लू स्टॉर ऑपरेशन को अंजाम दिया, तो उन्होंने पुरस्कार वापस लौटा दिया. उसके बाद वर्ष 2007 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया.
7. अपनी जिंदगी की आखिरी सांस तक उन्होंने लिखना नहीं छोड़ा. वह 99 साल की उम्र तक भी सुबह चार बजे उठ कर लिखना पंसद करते थे.
8. उन्हें नेचर से बेहद प्यार था, अक्सर प्रेरणा लेने के लिए वो घंटों-घंटों बगीचे में बैठे रहते थे.
जानें टॉप 5 अमीर भारतीयों में शामिल सांघवी की 10 बातें
9. 'हिस्ट्री ऑफ सिख' नाम से इन्होंने सिखों का इतिहास भी लिखा, जो काफी सराहा गया.
10. खुशवंत तीन चीजों से करते थे प्यार. पहला, 'दिल्ली' दूसरा लेखन और तीसरा, खूबसूरत महिलाएं. वो खुद को दिल्ली का सबसे यारबाज और दिलफेंक बूढ़ा मानते थे.