सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व आईपीएस अधिकारी डॉ. किरन बेदी ने 'लखनऊ फॉर लिटरेसी' अभियान के समर्थन में शनिवार को यहां के एक होटल में आयोजित कार्यक्रम में भागीदारी की. उन्होंने कहा, इस अभियान से जुड़ने की मुझे बहुत खुशी है.
किरण ने कहा, 'लखनऊ साक्षरता अभियान की रूपरेखा सरल और प्रभावी है. मैं स्वयं भी अपने स्वयं सेवी संगठन के माध्यम से इसे लागू करूंगी. देश में पहली बार इस तरह की कोई पहल की जा रही है, जिसमें अनपढ़ लोगों को पढ़ने में सक्षम बनाने का बीड़ा उठाया गया है.'
उन्होंने कहा कि सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य की राजधानी होने के कारण लखनऊ में शत-प्रतिशत सफलता मिलने के बाद उम्मीद है कि यह अभियान अन्य राज्यों तक भी पहुंच सकेगा.
किरण ने कहा, 'मुझे विश्वास है कि इसके मॉड्यूल को जो भी देखेगा और समझेगा उसे अहसास होगा कि यह कारगर और उपयोगी है.' अभियान की प्रमुख संचालक डॉ. सुनीता गांधी ने कहा, 'यह सचमुच ही एक सौभाग्य की बात है कि हमें डॉ. किरण बेदी जैसी हस्ती का सहयोग मिला है, जो कि सामाजिक मुद्दों और आंदोलनों में अथक प्रयास करने के लिए जानी जाती हैं. नि:संदेह 14 वर्षों की मेहनत के बाद तैयार हुए मॉड्यूल को लागू करने से लाभ मिलेगा इसमें कोई दो राय नहीं है.
उन्होंने कहा, 'मैं लखनऊ के सभी संगठनों व नागरिकों से अपील करती हूं कि इस सामाजिक दायित्व की पूर्ति के लिए सभी सहयोग करें.'
लखनऊ की एक झोपड़ पट्टी में रह रहे अमेरिकी स्वयंसेवक एंडी और रूडी ने कहा, 'ग्लोबल ड्रीम प्रोजेक्ट की पहली किताब के साथ हमने एक 25 वर्षीय युवक पर 30 अप्रैल से साक्षरता का प्रयोग शुरू किया. शुरुआती परीक्षा में उसका रिजल्ट 30 में से जीरो रहा. आठ सेशन पूरे करने के बाद 19 मई को टेस्ट लेने पर उसने 30 में से 29 अंक हासिल किए. उसकी सीखने और पढ़ने की इच्छा बहुत बढ़ गई है. जो कुछ उसने सीखा है वह सब वह शाम को अपनी पत्नी को सिखाता है.'