scorecardresearch
 

जानें कहां तक फैला था अलाउद्दीन खिलजी का शासन, कब संभाली दिल्ली की गद्दी

अलाउद्दीन खिलजी ने किया था ये कारनामा , बिना दाढ़ी वाले पुरुष थे कमजोरी. जानें कब संभाली थी दिल्ली की गद्दी...

Advertisement
X
प्रतिकात्मक तस्वीर
प्रतिकात्मक तस्वीर

Advertisement

21 अक्टूबर के दिन साल 1296 में मुगल शासक अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली की गद्दी संभाली थी. अलाउद्दीन दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का दूसरा शासक था और उसने अपना शासन दक्षिण भारत के मदुरै तक फैला दिया था. कहा जाता है कि उसके बाद कोई भी शासक इतना साम्राज्य स्थापित नहीं कर पाया था. आइए जानते हैं खिलजी के बारे में जो अपनी वीरता के साथ प्यार, इश्क के लिए भी जाना जाता था.

अलाउद्दीन खिलजी, खिलजी वंश के संस्थापक जलालुद्दीन खिलजी का भतीजा और दामाद था. अलाउद्दीन खिलजी ने राज्य को पाने की चाह में साल 1296 में अपने चाचा जलालुद्दीन की हत्या कर दी थी और दिल्ली में स्थित बलबन के लाल महल में अपना राज्याभिषेक सम्पन्न करवाया.

400 साल पुराना है केदारनाथ मंदिर का इतिहास, खास पत्थरों से हुआ निर्माण

Advertisement

मदुरै तक अपने साम्राज्य को बढ़ाने वाले खिलजी का नाम राजस्थान के इतिहास में भी दर्ज है. खिलजी ने अपने प्यार की वजह से राजस्थान के चितौड़ पर भी हमला कर दिया था. सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन और रानी चंपावती की बेटी पद्मिनी चित्तौड़ के राजा रतनसिंह के साथ ब्याही गई थी. कहा जाता है कि रानी पद्मिनी बहुत ही खूबसूरत थी और उनकी खूबसूरती पर एक दिन दिल्ली के सुल्तान 'अलाउद्दीन खिलजी' की बुरी नजर पड़ गई.

दरअसल चित्तौड़गढ़ के किले में उसने दर्पण में रानी के प्रतिबिंब को देखा था, रानी के खूबसूरत सौन्दर्य को देख कर अल्लाउद्दीन खिलजी रानी की तरफ आकर्षित हो गया. चित्तौड़गढ़ को लूटने वाला अलाउद्दीन खिलजी राजसी सुंदरी रानी पद्मिनी को पाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार था, इसलिए उसने चित्तौड़ पर हमला कर दिया.वहीं खिलजी ने महाराणा रतन सिंह के पास संधि का प्रस्ताव भेजकर उसने धोखे से महल में प्रवेश किया और चालाकी से रतनसिंह को बंधक बना लिया.

ताजमहल से जुड़े 6 ऐसे अफवाह, जिसे दुनिया मानती है सच!

उसके बाद रानी ने राजा को छुड़वा लिया, जिससे गुस्सा होकर खिलजी ने काफी समय तक चित्तौड़गढ़ के किले का घेराव किए रखा और बाद में राजपूतों ने खिलजी से समझौता किया. इससे नाराज पद्मिनी ने 18 अगस्त, 1303 ई. को चित्तौड़ के इतिहास में पहला जौहर हुआ, जिसमें कई क्षत्राणियों ने जौहर किए.

Advertisement

खिलजी को लेकर कई किताबों में दावा है कि उसके हरम में कई पुरुष थे. इतिहासकारों की मानें तो अलाउद्दीन के बारे कहा जाता है कि उसके हरम में करीब 70 हजार आदमी, औरतें और बच्चे शामिल थे. औरतों के सार्वजनिक नाच पर रोक थी जिसके चलते नौजवान लड़कों को औरतों के लिबास पहनाकर नचाया जाता था.

भारत का ये वित्त मंत्री बना था पाकिस्तान का पहला प्रधानमंत्री

अलाउद्दीन की हरम में मौजूद मलिक काफूर पर नजर पड़ी थी और उसे गुजरात की जीत के बाद अलाउद्दीन ने 1000 दीनार देकर खरीदा था. तारीख-ए-फिरोजशाही जैसी किताबों में कफूर के साथ अलाउद्दीन के संबंधों का जिक्र किया गया है. दावों की मानें तो अलाउद्दीन कफूर की खूबसूरती का दीवाना था.

इतिहास में अलाउद्दीन खि‍लजी के बारे में इस बात का भी जिक्र है कि नौजवान और बिना दाढ़ी वाले पुरुष उसकी कमजोरी माने जाते थे. कफूर के साथ करीबियों के चलते अलाउद्दीन ने काफूर को अपनी सेना में कमांडर बना दिया था. कहा जाता है कि कफूर ने खिलजी के मौत की साजिश भी रची.

Advertisement
Advertisement