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जानिए क्या हैं विद्युत चुंबकीय तरंगे?

क्या आप जानते हैं कि हमारी जिंदगी को विद्युत चुंबकीय तरंगे कैसे प्रभावित करती हैं? हम आपको तरंगों के कुछ प्रमुख नियम और कार्य बताएंगे.

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electromagnetic waves
electromagnetic waves

क्या आप जानते हैं कि हमारी जिंदगी को विद्युत चुंबकीय तरंगे कैसे प्रभावित करती हैं? यहां पर हम आपको तरंगों के कुछ प्रमुख नियम और कार्य बताएंगे.

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तरंग (wave): तरंगों को मुख्यतः दो भागों में बांटा जा सकता है:
(i) यांत्रिक तरंग (mechanical wave)
(ii) अयांत्रिक तरंग (non-mechanical wave)

(i) यांत्रिक तरंग: वे तरंगें जो किसी पदार्थिक माध्यम (ठोस, द्रव, अथवा गैस) में संचरित होती है, यांत्रिक तरंगें कहलाती है. यांत्रिक तरंगों को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है:
(a) अनुदैधर्य तरंग (longitudinal wave): जब तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों के कंपन करने की दिशा के समांतर होती है, तो ऐसी तरंग को अनुदैधर्य तरंग कहते है. ध्वनि अनुदैधर्य तरंग का उदाहरण है.
(b) अनुप्रस्थ तरंग (transverse wave): जब तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों के कंपन्न करने की दिशा के लंबवत होती है, तो इस प्रकार की तरंगों को अनुप्रस्थ तरंग कहते हैं.

(ii) अयांत्रिक तरंग या विद्युत चुंबकीय तरंग (electromagnetic waves): वैसे तरंगें जिसके संचरण के लिए किसी भी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है, अथार्त तरंगे निर्वात में भी संचरित हो सकती हैं, जिन्हें विद्युत चुंबकीय या अयांत्रिक तरंग कहते हैं:
सभी विद्युत चुंबकीय तरंगें एक ही चाल से चलती हैं, जो प्रकाश की चाल के बराबर होती है.
सभी विद्युत चुंबकीय तरंगें फोटोन की बनी होती हैं.
विद्युत चुंबकीय तरंगों का तरंगदैधर्य परिसर 10^-14 मी. से लेकर 10^4मी. तक होता है.

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विद्युत चुंबकीय तरंगों के गुण:
(a) यह उदासीन होती है.
(b) यह अनुप्रस्थ होती है.
(c) यह प्रकाश के वेग से गमन होती है.
(d) इसके पास ऊर्जा एवं संवेग होता है.
(e) इसकी अवधारणा मैक्सवेल के द्वारा प्रतिपादित की गई है.

प्रमुख विद्युत चुंबकीय तरंगें:-
(i): विद्युत चुंबकीय तरंगें: गामा-किरणें
खोजकर्ता: बैकुरल
तरंग दैधर्य परिसर: 10^-14m से 10^-10m तक
आवृत्ति परिसर Hz: 10^20 से 10^18 तक
उपयोग: इसकी वेधन क्षमता अत्यधिक होती है, इसका उपयोग नाभिकीय अभिक्रिया तथा कृत्रिम रेडियो धर्मिता में की जाती है.

(ii) विद्युत चुंबकीय तरंगें: एक्स किरणें
खोजकर्ता: रॉन्जन;
तरंग दैधर्य परिसर: 10^-10m से 10^-8m तक
आवृत्ति परिसर Hz: 10^18 से 10^16 तक
उपयोग: चिकित्सा एवं अौद्योगिक क्षेत्र में इसका उपयोग किया जाता है.

(iii) विद्युत चुंबकीय तरंगें: पराबैंगनी किरणें
खोजकर्ता: रिटर
तरंग दैधर्य; परिसर: 10^-8m से 10^-7m तक
आवृत्ति परिसर Hz: 10^16 से 10^14 तक
उपयोग: सिकाई करने, प्रकाश-वैद्युत प्रभाव को उतपन्न करने, बैक्टीरिया को नष्ट करने में किया जाता है.

(iv) विद्युत चुंबकीय तरंगें: दृश्य विकिरण
खोजकर्ता: न्यूटन
तरंग दैधर्य परिसर: 3.9 x 10^-7m से7.8 x10^-7m तक
आवृत्ति परिसर Hz:10^14 से 10^12 तक
उपयोग: इससे हमें वस्तुएं दिखलाई पड़ती हैं.

(v)विद्युत चुंबकीय तरंगें: अवरक्त विकिरण
खोजकर्ता: हरशैल
तरंग दैधर्य परिसर: 7.8 x 10^-7m से 10^-3m तक
आवृत्ति परिसर Hz: 10^12 से 10^10तक
उपयोग: ये किरणें उष्णीय विकिरण है, ये जिस वस्तु पर पड़ती है, उसका ताप बढ़ जाता है. इसका उपयोग कोहरे में फोटो ग्राफी करने एवं रोगियों की सेंकाई करने में किया जाता है.

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(vi) विद्युत चुंबकीय तरंगें: लघु रेडियो तरंगें या हर्टज़ियन तरंगें
खोजकर्ता: हेनरिक हर्ट्ज़
तरंग दैधर्य परिसर: 10^-3m से 1m तक
आवृत्ति परिसर Hz: 10^10 से 10^8 तक
उपयोग: रेडियो, टेलीविजन और टेलीफोन में इसका उपयोग होता है.

(vii) विद्युत चुंबकीय तरंगें: दीर्घ रेडियो तरंगें;
खोजकर्ता: मारकोनी
तरंग दैधर्य परिसर: 1 m से 10^4 m तक
आवृत्ति परिसर Hz: 10^6 से 10^4 तक
उपयोग: रेडियो और टेलीविजन में उपयोग होता है.
नोट: 10^-3 m से 10^-2m की तरंगें सूक्ष्म तरंगें कहलाती हैं.

तरंग-गति (wave motion): किसी कारक द्वारा उत्पन्न विक्षोभ के आगे बढ़ाने की प्रक्रिया को तरंग-गति कहते हैं.

कंपन की कला (phase of vibration): आवर्त गति में कंपन करते हुए किसी कण की किसी क्षण पर स्थिति तथा गति की दिशा को जिस राशि द्वारा निरूपित किया जाता है. उससे उस क्षण पर उस के कंपन की कला कहते है.

निम्न तरंगें विद्युत चुंबकीय नहीं है:-
(i) कैथोड किरणें
(ii) कैनाल किरणें
(iii) α-किरणें
(iv) β- किरणें
(v) ध्वनि तरंगें
(vi) पराश्रव्य तरंगें

आयाम (amplitude): दोलन करने वाली वस्तु अपनी साम्य स्थिति की किसी भी ओर जितनी अधिक-से-अधिक दूरी तक जाती है, उस दूरी को दोलन का आयाम कहते हैं.

तरंगदैधर्य (wave-length): तरंग गति में समान कला में कंपन करने वाले दो क्रमागत कणों के बीच की दूरी को तरंगदैधर्य कहते हैं. इसे ग्रीक अक्षर λ(लैम्डा) से व्यक्त किया जाता है. अनुप्रस्थ तरंगों में दो पास-पास के श्रंगों अथवा गर्त्तो के बेच की दूरी तथा अनुदैधर्य तरंगों में क्रमागत दो सम्पीडनों या विरलनों के बीच की दूरी तरंगदैधर्य कहलाती है. सभी प्रकार की तरंगों में तरंग की चाल, तरंगदैधर्य एवं आवृत्ती के बीच निम्न संबंध होता है:-
तरंग-चाल = आवृत्ति x तरंगदैधर्य

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