प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में सरकार की नई योजना 'गोबर-धन' का जिक्र किया और इसके बारे में कई जानकारी दी. बता दें कि सरकार ने इस योजना की घोषणा बजट 2018 में की थी. बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ग्रामीणों के जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश के तहत इस योजना का जिक्र किया था. इस योजना के तहत गोबर और खेतों के बेकार या इस्तेमाल में न आने वाले उत्पादों को कम्पोस्ट, बायो-गैस और बायो-सीएनजी में बदल दिया जाएगा.
मोदी ने मन की बात के दौरान इस योजना के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि इस बार बजट में 'स्वच्छ भारत' के तहत गांवों के लिए बायोगैस के माध्यम से वेस्ट टू वेल्थ और वेस्ट टू एनर्जी बनाने पर जोर दिया गया. उन्होंने ये भी कहा कि इस गोबर धन योजना का उद्देश्य गांवों को स्वच्छ बनाना और पशुओं के गोबर और खेतों के ठोस अपशिष्ट पर्दाथों को कंपोस्ट और बायो-गैस में परिवर्तित कर, उससे धन और ऊर्जा जनरेट करना है.
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उन्होंने बताया कि भारत में मवेशियों की आबादी पूरे विश्व में सबसे ज्यादा है. भारत में मवेशियों की आबादी लगभग 30 करोड़ है और गोबर का उत्पादन प्रतिदिन लगभग 30 लाख टन है. कुछ यूरोपीय देश और चीन पशुओं के गोबर और अन्य जैविक अपशिष्ट का उपयोग ऊर्जा के उत्पादन के लिए करते हैं लेकिन भारत में इसकी पूर्ण क्षमता का उपयोग नहीं हो रहा था. 'स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण' के अंतर्गत अब इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं.
क्या होगा फायदा
मवेशियों के गोबर, कृषि से निकलने वाले कचरे, रसोई घर से निकलने वाला कचरा, इन सबको बायोगैस आधारित उर्जा बनाने के लिए इस्तेमाल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. 'गोबर धन योजना' के तहत ग्रामीण भारत में किसानों, बहनों, भाइयों को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वो गोबर और कचरे को सिर्फ कचरे के रूप में नहीं बल्कि आय के स्रोत के रूप में देखें.
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- 'गोबर धन योजना' से ग्रामीण क्षेत्रों को कई लाभ मिलेंगे और गांव को स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी.
- इससे पशु-आरोग्य बेहतर होगा और उत्पादकता बढ़ेगी.
- बायोगैस से खाना पकाने और लाइटिंग के लिए ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी.
- किसानों एवं पशुपालकों को आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी.
- बायोगैस की बिक्री आदि के लिए नई नौकरियों के अवसर मिलेंगे.
ऐसे होगा काम
- गोबर धन योजना के सुचारू व्यवस्था के लिए एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म भी बनाया जाएगा जो किसानों को खरीदारों से कनेक्ट करेगा ताकि किसानों को गोबर और एग्रीकल्चर वेस्ट का सही दाम मिल सके.
मोदी ने कहा कि उद्यमियों, विशेष रूप से ग्रामीणों से आग्रह किया कि वो आगे आएं. सेल्फ हेल्फ ग्रुप बनाकर, सहकारी समितियां बनाकर इस अवसर का पूरा लाभ उठाएं. बता दें कि समावेशी समाज निर्माण के लिए सरकार ने विकास के लिए 115 खास जिलों की पहचान की है. इन जिलों में स्वास्थ्य, शिक्षा, सिंचाई, ग्रामीण विद्युतीकरण, पेयजल, शौचालय में इंवेस्ट करके तय समय में विकास की गति को तेज किया जाएगा. वित्तमंत्री ने उम्मीद जताई है कि ये 115 जिले विकास के मॉडल साबित होंगे.