एक तरफ मौसम किसानों के लिए खलनायक बना हुआ है तो वहीं दूसरी ओर गांव के लोग सामूहिक प्रयास से इस मुसीबत से निकलने का रास्ता भी तलाश रहे हैं. झारखंड के जमशेदपुर का 'दीदी बैंक' किसानों और गांव वालों के लिए मददगार बना है.
कब खुलता है बैंक:
बैंक के खुले होने की घोषणा मुनादी करने के साथ की जाती है. मुनादी के बाद लोग एक साथ पत्थर पर बैठकर बैंक का हिसाब-किताब करते हैं. पिछले 10 सालों से इस बैंक ने गांव में ऐसी पैठ बना ली है कि आज कुल 12 शाखाओं में 25 हजार सदस्य हैं.
बैंक का बहीखाता:
10 रुपये से शुरू हुए इस बैंक का 10 साल में सालाना टर्नओवर 3 करोड़ का है. हर हफ्ते खुलने वाले इस बैंक में कागजी काम से ज्यादा एक-दूसरे पर भरोसे से काम हो रहा है.
कैसे खुला बैंक:
झारखंड के जमशेदपुर में आदिवासी इलाकों में लोग बुरी तरह से सूदखोरों के चंगुल में फंसे हुए थे. सूदखोर लोगों की जमीन हड़प रहे थे, इन सबसे निजात दिलाने के लिए गांव की पांच महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह बनाया. महिलाओं ने 10 रुपये हफ्ते के जमा करने का काम भी शुरू किया. धीरे-धीरे लोग जुड़ते गए और सदस्य संख्या 25 हजार के पार कर गई.
लोन भी देता है यह बैंक:
इस बैंक के माध्यम से छोटा कारोबार करने वाले लोगों को लोन दिए जाने की सुविधा भी है. साथ ही बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसों से मदद भी की जाती है.
समय के साथ इसकी कामयाबी का सफर बदस्तूर जारी है. हर महीने इस बैंक से हजारों नए सदस्य जुड़ रहे हैं.