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पंजाबी के जन कवि थे 'पाश', ये है उनकी सबसे चर्चित कविता

दिग्गज कवि अवतार सिंह संधू उर्फ पाश की आज पुण्यतिथि है. वैसे तो वह पंजाबी के कवि थे लेकिन हिंदी में उनकी लोकप्रियता कहीं से कम नहीं थी. पढ़ें उनकी सबसे चर्चित कविता.

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पाश
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दिग्गज कवि अवतार सिंह संधू उर्फ पाश की आज पुण्यतिथि है. वैसे तो वह पंजाबी के कवि थे लेकिन हिंदी में उनकी लोकप्रियता कहीं से कम नहीं थी. उनका जन्म 9 सितंबर 1950 को जालंधर, पंजाब में हुआ था. पाश को क्रांति का कवि माना गया. उनकी तुलना भगत सिंह और चंद्रशेखर से भी की जाती रही है.

आपको बता दें, वे अकेले कवि थे जिनकी कविताओं में जितना ज्यादा प्यार होता था, उतना ही आक्रोश होता था. पाश ने खुद भी कहा है - ‘मैं आदमी हूं बहुत-बहुत छोटा-छोटा कुछ जोड़कर बना हूं.’ वे जिंदगीभर इसी छोटे–छोटे बहुत कुछ को बचाने की जिद और इस बहाने इंसान को इंसान बनाए रखने की ललक में लहूलुहान होते रहे.

जेल में ये किताबें थीं भगत सिंह के पास, फांसी से पहले पढ़ रहे थे इनको

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पढ़ें उनकी सबसे चर्चित कविता

"सबसे खतरनाक"

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती

पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती

गद्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती

बैठे-बिठाए पकड़े जाना बुरा तो है

सहमी-सी चुप में जकड़े जाना बुरा तो है

सबसे खतरनाक नहीं होता

कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना बुरा तो है

जुगनुओं की लौ में पढ़ना

मुट्ठियां भींचकर बस वक्‍त निकाल लेना बुरा तो हैसबसे खतरनाक नहीं होता

सबसे खतरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना

तड़प का न होना

सब कुछ सहन कर जाना

घर से निकलना काम पर

और काम से लौटकर घर आना

सबसे खतरनाक होता है

हमारे सपनों का मर जाना

सबसे खतरनाक वो घड़ी होती है

आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो

आपकी नजर में रुकी होती है

सबसे खतरनाक वो आंख होती है

जिसकी नज़र दुनिया को मोहब्‍बत से चूमना भूल जाती है

और जो एक घटिया दोहराव के क्रम में खो जाती है

सबसे खतरनाक वो गीत होता है

हिंदी साहित्‍य की दुनिया में जो ले आया तूफान, उस 'रेणु' के बारे में जानिए

जो मरसिए की तरह पढ़ा जाता है आतंकित लोगों के दरवाजों पर

गुंडों की तरह अकड़ता है

सबसे ख़तरनाक वो चांद होता है

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जो हर हत्‍याकांड के बाद

वीरान हुए आंगन में चढ़ता है

लेकिन आपकी आंखों में

मिर्चों की तरह नहीं पड़ता

सबसे ख़तरनाक वो दिशा होती है

जिसमें आत्‍मा का सूरज डूब जाए

और जिसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा

क्यों केदारनाथ सिंह की जगह नहीं ले सकता कोई दूसरा?

आपके जिस्‍म के पूरब में चुभ जाए

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती

पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती

गद्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती

बता दें, 23 मार्च 1988 को महज 38 साल की उम्र में खालिस्तानी आतंकवादियों द्वारा गोली मार कर पाश की हत्या कर दी थी.

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