भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सुधा बालकृष्णन को पहला मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) नियुक्त किया है. इतिहास में पहली बार रिजर्व बैंक में किसी सीएफओ की नियुक्ति हुई है. यह उर्जित पटेल के आरबीआई गवर्नर नियुक्त होने के बाद भी पहली बड़ी नियुक्ति है. बता दें कि बालकृष्णन नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) की उपाध्यक्ष हैं.
बालकृष्णन को 12वीं कार्यकारी निदेशक बनाया गया है. उनकी नियुक्ति कॉन्ट्रेक्ट पर की गई है. इनका कार्यकाल तीन साल का होगा. वह एक चार्टेड अकाउंटेंट हैं. इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार बालकृष्णन आरबीआई में सेंट्रल बैंक के बैलेंस शीट की इंचार्ज होंगी जो अकाउंट की नीतियां लागू कराएंगी.
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साल 2017 जारी हुए नोटिस के अनुसार वित्तीय स्थिति और बजटीय प्रक्रियाएं के बारे में जानकारी देने की जिम्मेदारी भी उनकी होगी. रिपोर्ट के अनुसार अंदरूनी मामलों के साथ-साथ कॉर्पोरेट से जुड़ी रणनीति भी वह ही बनाएंगी. इंटरनल अकाउंट और बजट के काम देखने के अलावा बालकृष्णन को भविष्य निधि की दरें तय करने का जिम्मा दिया गया है.
बता दें कि सुधा बालकृष्णन को सरकारी बैंक खाता विभाग का प्रभारी बनाया गया है. यह विभाग पेमेंट और टैक्स वसूली से जुड़े लेनदेन का काम देखता है. सेंट्रल बैंक के देश और विदेशों में निवेश का काम भी वे ही देखेंगी.
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इससे पहले पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने वित्तीय काम किसी एक व्यक्ति को देने के लिए प्रस्ताव रखा था और सीओओ नियुक्त करने के लिए कहा था, जिसे नामंजूर कर दिया गया. हालांकि उर्जित पटेल के गवर्नर बनने के बाद सीएफओ नियुक्त करने का रास्ता साफ हुआ.
बालाकृष्णन को प्रति महीने 4 लाख रुपये (घर के बिना) या 2 लाख (घर के साथ) की सैलरी मिल सकती है. साथ ही सालाना तौर पर सैलरी में 3 से 5 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है.