महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में सांप को पकड़ने वाली एक महिला सर्पमित्र के नाम से मशहूर है. खास बात यह है कि सांपों पर काबू पाने में माहिर यह महिला सर्पमित्र जहरीले सांपों के दांतों को कभी नहीं तोड़ती है. उन सांपों से वह हंसते-हंसते खेलती हैं और इनके साथ सैर पर भी निकलती हैं. जानें वनिता की कहानी...
परिवर भी है साथ :
वनिता अकेली नहीं हैं, इनकी तरह ही इनके बच्चे और पति भी सांपों से मोहब्बत करते हैं. उनका परिवार महाराष्ट्र के बुलढाणा शहर में एक छोटे से कस्बे मेहकर में रहता है. ये पूरा परिवार ही अपने आप में अनोखा है. जो भी इनके घर आता है, ऐसी तस्वीर देखकर हैरत में पड़ जाता है.
वनिता के नाम रिकॉर्ड :
वनिता बोराडे महाराष्ट्र की पहली महिला सर्पमित्र हैं जिन्होंने अपने पति के साथ मिलकर अभी तक 51 हजार सांपों को पकड़कर उन्हें नई जिंदगी दी है.
कैसे करते हैं काम:
शहर हो या गांव जहां भी इन्हें सांपों के निकलने की खबर मिलती है, ये फौरन वहां पहुंच जाती हैं. वनिता कहती हैं कि वह घर के कामकाज कर सांप पकड़ने जाती हैं. किसी की भी कॉल आई तो सब छोड़कर मैं सांप पकड़ने जाती हूं. सांप एक जगह पर रहता नहीं है. लोग डरे रहते हैं. उनका डर कम हो जाए और सांप भी बच जाए तो उनके घर पर जल्दी पहुंचती हूं.
खतरनाक से खतरनाक जहरीले सांपों को वनिता चंद मिनटों में पकड़ लेती हैं. इन्हें सांपों से जरा भी डर नहीं लगता. वनिता के मुताबिक, सांप इंसान के सबसे अच्छे दोस्त हैं. वो तबतक किसी को नहीं काटते, जब तक उन्हें किसी से जान का खतरा नहीं होता. सांपों को पकड़कर वनिता उन्हें एक डिब्बे में बंद करती हैं. इसके बाद वन विभाग के रजिस्टर में उसकी एंट्री करा कर जंगल में जाकर छोड़ देती हैं. वनिता पिछले 30 वर्षों से खतरनाक सांपों को पकड़ने का काम कर रही हैं. खास बात यह है कि जहरीले सांपों के दांतों को वह कभी नहीं तोड़ती हैं.
वनिता के पति डी. भास्कर का भी सांपों के प्रति प्रेम शादी के बाद बढ़ गया है. वह कहते हैं, 'शादी के बाद मैडम जी के साथ मैं जब जुड़ गया तो यह काम करते हुए हमें बहुत मजा आता है. सर्पमित्र होकर काम करना, खासकर महाराष्ट्र की प्रथम सर्पमित्र का पति होना मेरे लिए गौरव की बात है.'
महाराष्ट्र की पहली महिला सर्पमित्र:
सांपों से दोस्ती की वजह से ही वनिता महाराष्ट्र की पहली महिला सर्पमित्र के नाम से मशहूर हुई. इस काम के लिए इन्हें कई सम्मान भी मिल चुके है.