आज हिंदी भाषा के कवि और लेखक हरिवंश राय श्रीवास्तव 'बच्चन' का जन्मदिन है. वो हिंदी के प्रमुख कवियों में से एक हैं. 'बच्चन' की कविता के साहित्यिक महत्व के बारे में अनेक मत हैं, पर उनकी लोकप्रियता विवादों से परे है. उनकी कविताएं सर्वग्राह्य और सर्वप्रिय हैं. हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन को बचपन में बच्चन कहा जाता था जिसका शाब्दिक अर्थ बच्चा या संतान होता है और बाद में वे इसी नाम से मशहूर हुए.
हरिवंश राय बच्चन की शुरुआती शिक्षा उर्दू में हुई. फिर उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में एम. ए. किया. वह कई वर्षों तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में प्राध्यापक रहे. बाद में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी के कवि यीट्स पर पीएचडी की. वह कुछ समय तक आकाशवाणी के साहित्यिक कार्यक्रमों से भी जुड़े रहे. 1955 में विदेश मंत्रालय से हिन्दी विशेषज्ञ के रूप में जुड़कर दिल्ली चले आए.
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उनकी शादी श्यामा बच्चन से हुई, लेकिन कुछ सालों बाद ही टीबी के कारण श्यामा की मृत्यु हो गई. उसके 5 साल बाद बच्चन ने एक पंजाबी तेजी सूरी से विवाह किया.
प्रमुख कृतियां
मधुशाला उनकी सबसे प्रसिद्ध कृतियों में से एक है. इसके अलावा इनकी रचनाओं में मधुबाला, मधुकलश, मिलन यामिनी, प्रणय पत्रिका, निशा निमंत्रण, दो चट्टानें आदि शामिल हैं. कविताओं में तेरा हार, एकांत संगीत, आकुल अंतर, सतरंगिनी, हलाहल, बंगाल का काल, सूत की माला, खादी के फूल, प्रणय पत्रिका आदि शामिल हैं. साथ ही अग्निपथ, क्या है मेरी बोरी में, नीड़ का निर्माण फिर, गीत मेरे आदि रचनाएं भी काफी लोकप्रिय हुई.
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पुरस्कार
उन्हें 'दो चट्टानें' को लेकर हिंदी कविता के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके बाद उन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार और एफ्रो एशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. बिड़ला फाउंडेशन ने उनकी आत्मकथा के लिए उन्हें सरस्वती सम्मान दिया. बच्चन को भारत सरकार ने साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया.