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जानें क्या है घातक फोर्स, जिसने आतंकियों को पाकिस्तान में घुस कर मारा...

बीते दिनों पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को मार गिराने और उनके ठिकानों को तबाह कर देने वाली फोर्स का नाम घातक है. जानें आखिर किन वजहों से उनसे दुश्मन और आतंकी थर्राते हैं...

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Ghatak Force
Ghatak Force

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घातक प्लाटून या घातक कमांडो के नाम से पूरी दुनिया यूं ही नहीं थर्राती. वे पैदल सेना के भीतर स्पेशल ऑपरेशन संचालित करने के लिए ही तैयार किए जाते हैं. उन्हें दिया गया 'घातक' शब्द हिन्दी का बेहद प्रचलित शब्द है. उन्हें बेहद खतरनाक और हत्यारा भी कहा जाता है. संक्षेप में कहें तो उन्हें पैदल सेना भी कहा जा सकता है. फील्ड मार्शल मौंटगोमरी ने इनकी प्रशंसा में चंद शब्द कहे थे. जीत तो तभी मानी जाती है जब पैदल सेना की बूटें दुश्मन की सरजमीं में दाखिल होती हैं. जानें उनके बारे में सबकुछ...

1. इन स्पेशल फोर्सेस को यह संज्ञा पूर्व जनरल बिपिन चंद्र जोशी ने दी थी.

2. वे शॉक ट्रूप के तौर पर जाने जाते हैं. वे बटालियन की अग्रिम पंक्ति में तैनात रहते हैं.

3. घातक प्लाटून में अमूमन 20 जवान होते हैं. इसमें एक कमांडिंग कैप्टन होता है. दो नन कमीशंड अफसर होते हैं. इसके अलावा मार्क्समैन, स्पॉटर जोड़े, लाइटमशीन गनर, मेडिक और रेडियो ऑपरेटर होते हैं. बाकी बचे सैनिक असॉल्ट ट्रूप के तौर पर काम करते हैं.

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4. पैदल सेना के सबसे चपल और तेजतर्रार सैनिकों को घातक प्लाटून में शामिल किया जाता है.

5. इस प्लाटून की ट्रेनिंग बेलगाम, कर्नाटक में होती है. इस ट्रेनिंग में वे अपने बदन को कुछ इस तरह तपाते हैं कि वे वहां से फौलाद बन कर निकलते हैं. वे हर तरह की विषम और भयावह परिस्थितियों से लड़ने के लिए तैयार किए जाते हैं.

6. इस यूनिट को IWI Tavor TAR-21, INSAS और AK-47 जैसे हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है. इस यूनिट में शामिल मार्क्समेन को Dragunov SVD और Heckler & Koch MSG-90 जैसे स्नाइफर राइफल चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है.

7. समकालीन परिस्थितियों में सेना इन पर काफी काम कर रही है. वे उन्हें लेटेस्ट हथियारों से लैस कर रहे हैं.

8. उनकी ट्रेनिंग को और बेहतर बनाने के लिए स्विट्जरलैंड और भारतीय रक्षा सेना के बीच 5.75 मिलियन डॉलर की डील हुई है.

9. कारगिल युद्ध के दौरान टाइगर हिल पर भारतीय सेना का नेतृत्व करने वाले ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव भी घातक कमांडो फोर्स का हिस्सा थे. उन्हें इसके लिए परम वीर चक्र से भी नवाजा गया था.

10. 15 मराठा लाइट इन्फैंट्री में लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह भी घातक प्लाटून का हिस्सा थे. उन्हें जम्मू कश्मीर में 17 आतंकियों के घुसपैठ को नाकाम करने का श्रेय जाता है. उन्हें इसके लिए सेना को शांति के दौरान दिया जाने वाला सबसे ऊंचा सम्मान अशोका चक्र दिया गया था.

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