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जानें गुजरात के नवनियुक्त मुख्यमंत्री विजय रुपानी के बारे में सबकुछ...

आनंदीबेन पटेल के गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद कयासों का बाजार गर्म था. कई नाम उछले और उछाले गए. इन तमाम नामों के बीच विजय रुपानी के नाम पर अंतिम मुहर लग चुकी हैं. विजय रुपानी बनेंगे गुजरात के नए CM. जानें उनके बारे में सबकुछ...

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Vijay Rupani
Vijay Rupani

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गुजरात में हाल के दिनों में जो उथल-पुथल हुई और उसे थाम पाने में नाकाम रहने के बाद वहां की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने इस्तीफा दे दिया. चाहे वहां के पाटीदार (पटेल) समुदाया द्वारा रिजर्वेशन की मांग या फिर वहां के दलित युवकों पर तथाकथित गोरक्षकों द्वारा हुए हमले के बाद दलित समुदाय का सामूहिक प्रदर्शन. पहले उन्होंने इस्तीफे की बात अपने फेसबुक वॉल पर साझा की और बाद में बकायदे राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा.

उनके इस्तीफे के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री पद के लिए दो शख्सियतों के नाम सबसे आगे चल रहे थे. पहले नितिन पटेल और दूसरे विजय रुपानी. गौरतलब है कि नितिन पटेल वहां के पाटीदार समुदाय से ही ताल्लुक रखते हैं और उनके मुख्यमंत्री बनने की प्रबल संभावनाएं थीं. हालांकि, इन तमाम कयासों को धता बताते हुए विजय रुपानी गुजरात प्रांत के मुख्यमंत्री चुन लिए गए हैं.

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जानें कौन हैं विजय रुपानी?
आज भारत की अधिकांश आम जनता भले ही विजय रुपानी का नाम पहली बार सुन रही हो लेकिन वे बीजेपी के इनर सर्किल के जाने-माने चेहरे हैं. वे जैन समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और गुजरात प्रांत में बीजेपी के अध्यक्ष भी हैं. वे बीजेपी संगठन पर अच्छी पकड़ रखते हैं. वे राजकोट पश्चिम से विधायक हैं. उनके पास गुजरात सरकार में परिवहन, वॉटर सप्लाई और लेबर एंड एम्प्लॉय जैसे मंत्रालय भी हैं.

कैसे की करियर की शुरुआत?
ऐसा नहीं है कि विजय रुपानी को मुख्यमंत्री पद बिना किसी मशक्कत के मिल गया हो. वे अपने पढ़ाई के दिनों से ही आरएसएस की विद्यार्थी संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़े रहे हैं. वे अहमदाबाद में एबीवीपी के फुल टाइम वर्कर भी रह चुके हैं. इसके बाद वे जनसंघ से जुड़े रहे. वे भारतीय जनता पार्टी के शुरुआती दिनों से ही संगठन का हिस्सा हैं. वे इससे पहले राजकोट के पार्षद रहने के अलावा राज्यसभा के भी सदस्य रह चुके हैं.

इमरजेंसी में काट चुके हैं जेल...
विजय रुपानी गुजरात प्रांत से ताल्लुक रखने वाले उन चुनिंदा नेताओं में से एक हैं जो इमरजेंसी के विरोध में जेल भी जा चुके हैं. वे आज की तारीख में गुजरात प्रांत के सबसे अनुभवी नेताओं के तौर पर भी शुमार किए जा सकते हैं. उनका गुजरात का मुख्यमंत्री बनना राज्य में फिर से शांति व चैन बहाल कर पाएगा या नहीं यह तो बाद की बात है लेकिन अभी तो वे मुख्यमंत्री चुन ही लिए गए हैं.

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