बल्लेबाज विराट कोहली अपने बारे में खुद कहते हैं कि पहले उनसे जुड़ी कई बातें गलत थीं. उनके टैटू, स्टाइलिश कपड़े और अफेयर्स की ज्यादा चर्चा थी. लेकिन इन दिनों सिर्फ उनके बल्ले की धमक सुनाई दे रही है. अपने गुस्से के लिए बदनाम रहे विराट कोहली ने उम्र बढ़ने के साथ- साथ क्रिकेट और दुनिया, दोनों को जीतना सीखा है.
जानिए विराट की कुछ ऐसी बातें जो खुद उन्होंने कही हैं-
1. 2009 से पहले मुझे अपने खेल, अपनी काबिलियत पर यकीन नहीं था. इस बात पर शक था कि शुरू में धीमा खेलने के बाद मैं बाद में गेंद और रन का फासला कम कर सकूंगा या नहीं. लेकिन अब खुद पर विश्वास हो चला है. मैं अपनी काबिलियत पर यकीन करना सीख गया हूं.
2. अब मुझ में बाउंड्री पर खड़े फील्डर को चुनौती देने का विश्वास है. इसलिए आप जिम में ट्रेनिंग करते हैं. फिटनेस से जुड़ी चीजें करते हैं. जब मैं थका हूं और जीरो पर हूं, तो भी ज्यादा से ज्यादा तेज भाग सकूं, इसकी ट्रेनिंग लेता हूं और मैच में यही काम आता है .
3. मुझे बड़े शॉट खेलने की जरूरत महसूस नहीं होती है. मेरे लिए टीम की खातिर कम जोखिम वाली पारियां खेलना जरूरी है. लेकिन आक्रामक अंदाज बरकरार रखते हुए. इसी संतुलन पर बीते काफी वक्त से मैं काम कर रहा हूं.
4. मैं विजुलाइज करता हूं, ये मेरी ताकत है. मैं नहीं जानता इसमें कुछ अध्यात्म जैसा है या कुछ और, लेकिन मैं खुद से खूब बातें करता हूं. जब मैं अपनी अगली पारी की तैयारी करता हूं, तो कल्पना कर लेता हूं कि कौन कैसी गेंद डाल रहा है और मैं कैसे उसका सामना कर रहा हूं.
5. मैं नहीं समझ पाता कि मैदान पर 50-60 हजार लोगों के सामने खेलने के बावजूद मैं फिक्रमंद क्यों नहीं होता. मैं सब देखता हूं, लेकिन अति उत्साह में नहीं आता. यही चीज यकीन दिलाती है कि आपको ये करना था. आप में इन हालात में परफॉर्म करने की काबिलियत है, क्योंकि आप अवरोधों के बावजूद लक्ष्य पर फोकस कर पा रहे हैं.
6. मैं ये नहीं चाहता कि दुनिया मुझे ऐसे खिलाड़ी के तौर पर याद रखे जो कभी टीम इंडिया के लिए खेला था. मैं उन सभी लोगों के लिए उदाहरण पेश करके जाना चाहता हूं, जो हमारे बाद टीम के लिए खेलने आएंगे.
7. ऑस्ट्रेलिया सबसे ताकतवर टीम है और मुझे उनके खिलाफ खेलने मे मजा आता है. वो चुनौती पेश करते हैं और मुझे चुनौतियों का सामना करना अच्छा लगता है. लेकिन आप सिर्फ ये सोचकर अच्छा नहीं खेल सकते कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले रन बना चुके हैं.
8. बतौर क्रिकेटर, आपका करियर कोई बहुत लंबा नहीं होता, ऐसे में जब कभी मौका मिले, उसका लुत्फ लेना बेहद जरूरी है. मेरे लिए मैदान में उतरना, दबाव नहीं बल्कि मौका है. मैं उसे चुनौती की तरह लेता हूं, जिसे जीतना चाहता हूं. एक खिलाड़ी होने के नाते ये बेहद जरूरी है कि आपको ये संतुष्टि मिले कि आपने अपनी तरफ से 120 फीसदी दिया.
9. मैं पूजा-पाठ करने वाला लगता हूं क्या? मैं हैरत में हूं क्योंकि मेरे बारे में काफी कुछ गलत था. टैटू था, मैं स्टाइलिश कपड़े पहनता था. लेकिन वो सब करना काफी आसान था. मुश्किल था, तो हर रोज अपने खेल को सुधारना, वो भी नतीजे की परवाह किए बिना और मैंने वही किया, वही कर रहा हूं.
10. आप छक्का 60 मीटर का मारे या 90 मीटर का, रन 6 ही मिलते हैं. इसलिए हमारे लिए जीतना जरूरी है, ये नहीं कि कैसे जीते. कोई ये नहीं बोलता कि कितने रन से हरा दिया. सभी बोलते हैं कि इंडिया जीती या इंडिया हारी.