क्रांतिकारी, शायर, लेखक, इतिहासकार, साहित्यकार रामप्रसाद बिस्मिल का नाम भारत में बड़े ही आदर के साथ लिया जाता है. बिस्मिल महज 11 साल की उम्र में ही स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने लगे थे. उन्होंने अपने क्रांतिकारी कारनामों से अंग्रेजों मे दहशत फैला दिया था. उनका जन्म 11 जून 1897 को शाहजहांपुर में हुआ था.
जानिए उनके जन्म दिवस पर उनकी खास बातें...
1. बचपन में राम प्रसाद बिस्मिल आर्यसमाज से प्रेरित थे और उसके बाद वे देश की आजादी के लिए काम करने लगे.
2. बिस्मिल मातृवेदी संस्था से भी जुड़े थे. इस संस्था में रहते हुए उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के लिए काफी हथियार एकत्रित किया, लेकिन अंग्रेजी सेना को इसकी जानकारी मिल गई. अंग्रेजों ने हमला बोलकर काफी हथियार बरामद कर लिए. इस घटना को ही मैनपुरी षड़यंत्र के नाम से भी जाना जाता है.
3. काकोरी कांड को अंजाम देने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और मुकदमा चलाया गया.
4. 18 महीने तक मुकदमा चलाने के बाद 19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर जेल में फांसी दे दी गई.
5. राम प्रसाद बिस्मिल ने अपने आत्मकथा के अंत में देशवासियों से एक अंतिम विनय किया था. 'जो कुछ करें, सब मिलकर करें और सब देश की भलाई के लिए करें. इसी से सबका भला होगा.
6. बिस्मिल ने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर काफी काम किए हैं और काफी लिखा भी है. उनकी पंक्ति 'सरकार ने अशफाकउल्ला खां को रामप्रसाद का दाहिना हाथ करार दिया. अशफाकउल्ला कट्टर मुसलमान होकर पक्के आर्यसमाजी रामप्रसाद का क्रान्तिकारी दल का हाथ बन सकते हैं, तब क्या नये भारतवर्ष की स्वतन्त्रता के नाम पर हिन्दू मुसलमान अपने निजी छोटे- छोटे फायदों का ख्याल न करके आपस में एक नहीं हो सकते?' काफी प्रसिद्ध है.
7. राम प्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा गणेश शंकर विद्यार्थी ने 'काकोरी के शहीद' के नाम से उनके शहीद होने के बाद 1928 में छापी.