भारत की महिला हॉकी टीम ने रियो ओलंपिक के लिए 36 साल बाद क्वालीफाई किया है. पूरी टीम मजबूत हौसलों से लबरेज है. यह मौका किसी भी टीम के कप्तान के लिए काफी अहम होता है.
भारतीय महिला टीम की कप्तान रितु रानी के लिए यह मौका 'करो या मरो' से कम नहीं है. अब धीरे-धीरे ही सही, हॉकी घर-घर में लोकप्रिय हो रही है. 2007 में बनी फिल्म 'चक दे' ने ग्रामीण स्तर पर भी हॉकी को महिलाओं में काफी लोकप्रिय बना दिया. रितु रानी इस बारे में कहती हैं, 'यह सही है कि इस फिल्म की वजह से लोगों ने जाना कि महिलाएं भी हॉकी खेलती हैं. आज हमें प्रशासन की तरफ से खेल के लिए हर तरह की मदद दी जाती है. मैं यह नहीं कहूंगी कि फिल्म ने सब कुछ बदल दिया लेकिन महसूस करने लायक फर्क तो आया ही है.
रितु हरियाणा के कुरुक्षेत्र की रहने वाली है. शुरुआती दौर में उन्हें काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा. वह बताती हैं, 'कुछ साल पहले टीम में अलग-अलग राज्यों से खिलाड़ी होने के कारण बातचीत में परेशानी होती थी. लेकिन अब सब ठीक है. ओडिशा और झारखंड से आने वाले ज्यादातर खिलाड़ी बहुत कम बोला करते थे. अब बोलते हैं और हिंदी भी सीख गए हैं.'
रितु कहती हैं कि उन्हें यहां तक पहुंचाने में उनके शहरवालों का भी काफी योगदान है. उनके शहर के लोग उन्हें काफी प्यार करते हैं. हरियाणा में स्पोर्ट कल्चर काफी अच्छी स्थिति में हैं. इसके बाद बात यह भी है कि हरियाणा वालों से हार बर्दाश्त नहीं होती है. वो सोचते रहते हैं कि हार कैसे गए और यह एक जज्बा भी है.